TDS में वित्त मंत्री ने की 25 फीसदी कटौती, जानिए क्या होता है टीडीएस और कैसे मिलेगा इसका फायदा

नई दिल्ली(एजेंसी): वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीडीएस में 25 फीसदी की कटौती का ऐलान करके टैक्सपेयर्स के करीब 50 हजार करोड़ रुपये बचाने का रास्ता खोलने का एलान किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कल पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई एलान किए. इसमें से एक बड़ा एलान ये था कि सैलरी को छोड़ अन्य सभी तरह के पेमेंट के लिये स्रोत पर कर कटौती यानी टैक्स डिड्क्टड एट सोर्स (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह यानी टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) की दर में 25 फीसदी की कटौती गई है. इसका सीधा अर्थ है कि नॉन-सैलरीड पेमेंट पर लगने वाले टीडीएस में 25 फीसदी कटौती करने का ऐलान किया गया है जिससे 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी सिस्टम में आएगी और टैक्सपेयर के हाथ में 50,000 करोड़ रुपये की राशि आएगी.

यह छूट इस पूरे वित्त वर्ष में जारी रहेगी यानी इस छूट का फायदा लोगों को 14 मई 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 तक उठाने का मौका मिल पाएगा.

नॉन-सैलरीड पर टीडीएस और टीसीएस में 25 फीसदी कटौती से लोगों के पास खर्च करने लायक पैसा ज्यादा आएगा. इस छूट का फायदा सैलरी को छोड़कर हर तरह के पेमेंट पर मिल सकेगा जैसे कॉन्ट्रैक्ट, प्रोफेशनल फीस, इंटरेस्ट, रेंट, डिविडेंड, कमीशन, ब्रोकरेज वगैरह पर इस का असर देखा जाएगा.

उदाहरण के लिए इसे इस तरह समझें कि यदि आपको बैंक से ब्याज के 10 लाख रुपये मिलते हैं जिसके ब्याज पर टीडीएस 10 फीसदी है. 10 फीसदी के हिसाब से उस मिली रकम पर 1 लाख रुपये का टीडीएस कटेगा और आपको 9 लाख रुपये मिल पाते हैं. कल के वित्त मंत्री के एलानों के बाद 25 फीसदी की बचत होगी यानी 10 फीसदी की जगह मिली रकम पर 7.5 फीसदी टैक्स ही लगेगा. इस तरह जहां पहले 10 लाख रुपये के ब्याज पर 1 लाख रुपये का टैक्स कटता था वो अब 25 हजार कम होकर 75 हज़ार का टैक्स ही कटेगा. इस तरह आपको 9.25 लाख रुपये मिलेंगे यानी 25 हज़ार रुपये आपके हाथ में ज्यादा आएंगे.

टीडीएस के जरिए टैक्स डिडक्शन ऑन सोर्स के तहत सरकार के पास पैसे की आमद होती है. टीडीएस अलग-अलग तरह के इनकम सोर्स पर काटा जाता है. जैसे उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो सैलरी, किसी इंवेस्टमेंट पर मिले ब्याज या कमीशन वगैरह पर टीडीएस काटा जाता है. कोई भी संस्थान जो टीडीएस के दायरे में आता है और टीडीएस का पेमेंट सरकार को कर रहा है, एक तयशुदा राशि टीडीएस के रूप में काट लेता है. ये सालाना भी हो सकता है और मासिक आधार पर भी काटा जा सकता है.

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