नई दिल्ली (एजेंसी)। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने इंस्टेंट मनी पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) पर लगने वाले चार्ज को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। अब ग्राहकों को आईएमपीएस करने पर भी किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा। नया नियम एक अगस्त से लागू होगा। इससे पहले सभी बैंकों ने एक जुलाई से आरटीजीएस और एनईएफटी पर लगने वाले शुल्क को समाप्त कर दिया था। छह जून को हुई आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की समीक्षा बैठक में आरबीआई ने आम जनता को बड़ा तोहफा देते हुए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) के जरिये होने वाला लेन-देन के निशुल्क कर दिया था।
आरटीजीएस और एनईएफटी करने पर बैंक ग्राहकों से चार्ज वसूलते हैं। ऐसे में ग्राहकों के खाते से अतिरिक्त राशि कटती थी। एसबीआई ने एक बयान में कहा कि उसने पूरे देश में डिजिटल प्लेटफार्म योनो, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग ग्राहकों के लिए 1 जुलाई से 2019 से ये सभी चार्ज खत्म कर दिए हैं।
इससे एसबीआई के ग्राहकों को बहुत फायदा होगा और वे पूरे देश में कहीं भी, कभी भी पैसे भेज सकेंगे और इसके लिए उन्हें कोई चार्ज नहीं देना होगा। 1 अगस्त 2019 से इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और योनो ग्राहकों के लिए IMPS चार्ज भी खत्म कर दिया जाएगा।
31 मार्च 2019 तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में 6 करोड़ ग्राहक इंटरनेट बैकिंग का इस्तेमाल करते हैं। वहीं 1.41 करोड़ लोग मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं। बैंक का डिजिटल और लाइफस्टाइल प्लेटफॉर्म योनो 1 करोड़ ग्राहक इस्तेमाल करते हैं।
इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिग के जरिए IMPS ट्रांसफर के लिए 1000 रुपये तक कोई चार्ज नहीं है। वहीं 1001 से एक लाख रुपये तक पांच रुपये प्लस जीएसटी लगता है। 100001 रुपये से दो लाख रुपये तक 15 रुपये प्लस जीएसटी चार्ज है।
SBI का 31 मार्च 2019 तक 29 लाख करोड़ रुपए का डिपॉजिट बेस था। वहीं 22 लाख करोड़ रुपए का एडवासं था। बैंक की पूरे देश में 22010 ब्रांच हैं। इसके अलावा 58 हजार एटीएम भी हैं।