नई दिल्ली (एजेंसी)। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। एम्स ने एक बयान जारी कर कहा है कि वे बेहद दुख के साथ सूचित कर रहे हैं कि 24 अगस्त को 12 बजकर 7 मिनट पर माननीय सांसद अरुण जेटली अब हमारे बीच में नहीं रहे। अरुण जेटली को 9 अगस्त को एम्स (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे।
जेटली नौ अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे, उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। जेटली के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर है। बीते साल उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था लेकिन लगातार उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त, रक्षा और सूचना प्रसारण जैसे अतिमहत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने वाले अरुण जेटली को संसद में सरकार के संकटमोचक माना जाता था। यानी जब भी सरकार को कोई समस्या आई जेटली ने अपने अनुभव से उसे दूर करने का काम किया। जेटली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे, इसके बाद विपक्ष की भूमिका में भी जेटली बेहद मुखर प्रवक्ता रहे औक यूपीए सरकार को निशाने पर लेते रहे। उन्हें एनडीए का सफल रणनीतिकार भी माना जाता था।
अरुण जेटली के संसदीय सफर की बात करें तो वे 47 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। 19 अक्टूबर 1999 को अरुण जेटली वाजपेयी सरकार में मंत्री बने। सबसे पहले सूचना-प्रसारण (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री बने। इसके बाद उन्हें विनिवेश मंत्रालय, कानून मंत्रालय, उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय का भी जिम्मा मिला। साल 2000 में जेटली पहली बार कैबिनेट मंत्री बने।
2000-12 तक तीन बार गुजरात से राज्यसभा में आए, साल 2010 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान मिला। 2014 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर अमृतसर से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें असफलता हाथ लगी। इसके बाद 2018 में बीजेपी ने चौथी बार यूपी से राज्यसभा भेजा। 2009 में राज्यसभा में नेता विपक्ष की भूमिका निभाई। साल 2014 बीजेपी की बंपर जीत के बाद उन्हें राज्यसभा में लीडर ऑफ द हाउस की जिम्मेदारी दी गई, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। सदन में उनके विरोधी भी उनके भाषण की तरीफ करते थे। आपको जानकर हैरानी होगी इतने लंबे राजनीतिक जीवन में अरुण जेटली कभी लोकसभा के सदस्य नहीं बने।
अरुण जेटली के व्यक्तिगत जीवन पर नजर डालें तो 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में उनका जन्म हुआ। दिल्ली यूनिवर्सिटी से उन्होंने एलएलबी की डिग्री ली। देश में आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में भी रहे। 1977 में दिल्ली में वकालत शुरू की और 1989 में देश के एडि. सॉलिसिटर जनरल बने। एडि. सॉलिसिटर जनरल रहते जेटली बोफोर्स केस का जिम्मा मिला।