नई दिल्ली (एजेंसी)। तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के चार राज्यसभा सांसद टीजी वेंकटेश, वाईएस चौधरी, जीएम राव और सीएम रमेश गुरुवार को भाजपा मे शामिल हो गए। इनमें से सीएम रमेश और वाईएस चौधरी उद्यमी हैं और उनके खिलाफ आयकर विभाग, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच चल रही है । रमेश का नाम पिछले साल सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच उपजे विवाद में आया था। उनकी कंपनी के खिलाफ आयकर विभाग की जांच चल रही है। चौधरी बैंक से लिए कर्ज की धोखाधड़ी के आरोप में सीबीआई और ईडी के रडार पर हैं। हालांकि दोनों का दावा है कि वह निर्दोष हैं और उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। पिछले साल नवंबर में भाजपा सासंद और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने चौधरी और रमेश को आंध्र प्रदेश के माल्या कहा था और राज्यसभा की नैतिकता समिति को उनके खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई करने की मांग की थी।
28 नवंबर को नैतिकता समिति के अध्यक्ष को लिखे पत्र को उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था, ‘मैंने नैतिकता समिति से शिकायत की है कि टीडीपी के सांसद वाईएस चौधरी और सीएम रमेश को अयोग्य घोषित किया जाए। जिन्होंने बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटालों करके आंध्र के माल्या की संदिग्ध उपाधि अर्जित की है।’ पिछले साल अक्तूबर में आयकर विभाग को जांच में रमेश से संबंधित एक कंपनी में 100 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेन-देन मिला था।
आयकर विभाग के अनुसार रित्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने पता न लगाए जाने वाले स्रोत से कथित तौर पर 74 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन किया था। वहीं 25 करोड़ रुपये के बिल संदिग्ध पाए गए थे। 12 अक्तूबर को आयकर विभाग ने हैदराबाद स्थित कंपनी और कडापा के घर में छापेमारी की थी। टीडीपी ने इन छापेमारी का विरोध किया था और इसे राजनीति से प्रेरित बताया था।
चौधरी की बात करें तो वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान राज्यमंत्री थे। उनपर तीन एफआईआर दर्ज है जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। इन एफआईआर में आरोप है कि इलेक्ट्रिकल उपकरण निर्माता बेस्ट और क्रॉम्पटन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने धोखे से बैंकों के एक संघ से 360 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हासिल किया और फिर डिफॉल्ट (कर्ज चुकाने से चूकना) हो गए। सीबीआई का दावा है कि यह कंपनी चौधरी की है।