नई दिल्ली (एजेंसी)। दिल्ली की पहली महिला ऑटोरिक्शा चालक सुनीता चौधरी को एक अन्य ऑटो चालक ने मंगलवार को गाजियाबाद में लूट लिया। जब यह घटना हुई वह एक अन्य ऑटो में सवार होकर दिल्ली की ओर आ रही थी तभी आरोपी चालक ने सुनीता से 30 हजार रुपये लूट लिए। हालांकि इस लूट को जिस तरह अंजाम दिया गया वह किसी भी ऑटोरिक्शा में सफर करने वाले शख्स के लिए सावधान करने वाली बात है। जो पैसा उससे लूटा गया उससे वह अपना नया ऑटो खरीदना चाहती थी क्योंकि उसके पुराने ऑटो को चलते हुए 15 साल पूरे हो गए हैं। सुनीता अपने पैतृक घर मेरठ से दिल्ली लौट रही थी तब यह हादसा हुआ। वह गाजियाबाद के मोहन नगर में बस से उतरकर ऑटो से आनंद विहार जा रही थी।
सुनीता ने बताया कि मोहन नगर में वह ऑटो का इंतजार कर रही थी तभी एक ऑटोरिक्शा वाला वहां पहुंचा। ऑटो की पिछली सीट पर दो आदमी और अगली सीट पर एक शख्स बैठा था। सुनीता को वह ऑटो वाला 20 रुपये में आनंद विहार छोड़ने के लिए राजी हो गया। चालक के साथ जो यात्री बैठा था उसे पीछे वाली सीट पर बैठने के लिए कहा गया। इस तरह पीछे सुनीता को लेकर कुल 4 लोग बैठे थे। जगह कम होने की वजह से सुनीता से उसका बैग ऑटो में पीछे रखने को कहा गया। फिर ऑटो कुछ दूर ही चली थी कि वसुंधरा के पास अचानक से रुकी। ड्राइवर ने कहा कि ऑटो में कुछ खराबी है। ये सुनकर सुनीता भी उसकी मदद के लिए उतरी।
कुछ मिनटों के बाद ऑटो की पिछली सीट पर बैठे एक यात्री ने सुनीता को उसका बैग दिया और दूसरा ऑटो पकड़ कर जाने के लिए कहा। सुनीता वहीं रोड के किनारे खड़ी हो गई और दूसरे ऑटो का इंतजार करने लगी। जल्द ही उस ऑटो के ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की और बिना सुनीता को बैठने के लिए कहे तेजी से वहां से भाग गया।
सुनीता ने बताया कि वह इन सब बातों से हैरान थी। वो बोली, ‘मैंने अपना बैग चेक किया तो पाया कि उसमें से वो पैकेट गायब था जिसमें 30000 रुपये नकद पड़े हुए थे। मैंने वहां से जा रही एक अन्य गाड़ी से उस ऑटोरिक्शा का पीछा करने की कोशिश की, लेकिन वो लोग सड़क की दूसरी लेन का इस्तेमाल करते हुए फरार हो चुके थे।’
बाद में सुनीता ने पुलिस को फोन किया जिन्होंने उसे खाना और किराया देकर खिड़की एक्सटेंशन स्थित उसके घर के लिए रवाना किया। उसकी शिकायत के आधार पर साहिबाबाद पुलिस स्टेशन ने आईपीसी की धारा 379(चोरी) के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि इलाके में इस तरह की घटना कोई नई नहीं है लेकिन इस बार इसमें कोई हिंसा नहीं हुई।
पुलिस ने बताया कि पिछले केसों में ऑटो गैंग हिंसा भी करते थे जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि इस बार कोई हिंसा नहीं हुई है जिससे ऐसा अंदाजा है कि ये कोई नया गैंग है।
वहीं सुनीता ने बताया कि मैंने अपनी सारी सेविंग बैंक में जमा करा दी थी और दिल्ली आने से पहले इसे निकाला था। मेरे पास कमर्शियल लाइसेंस है और मैं सोच रही थी कि 10000 रुपए देकर नया परमिट लूंगी और बाद में एक ऑटोरिक्शा ले लूंगी। अब मेरे पास 300 रुपये प्रतिदिन के किराए पर ऑटो लेकर चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। इन दिनों किराए पर ऑटो लेना काफी मुश्किल होता है। वह पिछले 15 साल से ऑटो चलाने का काम कर रही हैं।