नई दिल्ली (एजेंसी)। नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार जैसे ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म सवालों के घेरे में आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन प्लेटफार्म्स पर दिखाए जाने वाले कंटेन्ट के रेगुलेशन के लिए एक नोटिस जारी किया है। एक एनजीओ की तरफ से इसके खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी, इस याचिका पर अब सरकार की प्रतिक्रिया मांगी गई है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि ऑनलाइन मीडिया स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म अप्रमाणित, स्पष्ट सेक्शुअल और वलगर कंटेन्ट दिखाते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, “सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें सरकार द्वारा नेटफ्लिक्स और अमेज़ॅन प्राइम वीडियो जैसे ऑनलाइन मीडिया स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म के कामकाज को रेगुलेट करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की गई है।”
इससे पहले उसी याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 8 फरवरी, 2019 को खारिज कर दिया था। जिसे एक गैर-सरकारी संगठन, जस्टिस फॉर राइट्स की तरफ से दायर किया गया था। संगठन ने दावा किया है कि वेब-एक्सक्लूसिव कंटेन्ट के लिए रेगुलेशन की कमी के कारण प्लेटफार्म ‘अश्लीलता, धार्मिक रूप से निषिद्ध और अनैतिकता’ से भरा हुआ।
जनहित याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कई शो के कंटेन्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
इस साल जनवरी में, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, वूट, अर्रे, सोनी लिव और ऑल्ट बालाजी जैसे ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्रोवाइडर्स वीडियो स्ट्रीमिंग कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए सेल्फ-रेगुलेटरी कोड को लाए थे। इन्होंने ने स्वेच्छा से इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में बनाए गए कोड पर हस्ताक्षर किया था।
बता दें बीते साल नेटफ्लिक्स के पहले ओरिजिनल इंडियन सीरीज सेक्रेड गेम्स के चंद कंटेन्ट को लेकर विवाद गहरा गया था।