विद्यार्थी कारगिल विजय दिवस का संदेश आत्मसात कर शूरवीर व पराक्रमी बनें : पुरोहित

सशिमं में मनाया गया कारगिल विजय दिवस

बागबाहरा (www.aviralsamachar.com) । सरस्वती शिक्षा संस्थान के जिला प्रतिनिधि (महासमुंद) और स्थानीय स.शि.मं. संचालन समिति के सदस्य अनिल पुरोहित ने विद्यालय में अध्ययनरत भैया-बहनों से राष्ट्र-चिंतन और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन हेतु तत्पर और सजग होने का आग्रह किया है। श्री पुरोहित शुक्रवार को स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर उ. मा. विद्यालय में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आहूत कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  पुरोहित ने कारगिल संघर्ष की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि अब यह आवश्यक है कि समाज के सभी वर्ग राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार बनें। शहीदों को नमन और वीर जवानों का अभिनंदन करने के साथ-साथ भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम को आत्मसात करें, यही कारगिल विजय दिवस का मूल संदेश है। पुरोहित ने कहा कि आज हम जितनी भी उपलब्धियां अर्जित कर लें, लेकिन उसका उपभोग हम तभी कर सकेंगे जब हमारा यह राष्ट्र अपने सांस्कृतिक मूल्यों, जीवन मूल्यों, आदशों और गौरव प्रतीकों पर गर्व करके एक अखंड और अक्षुण्ण राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाए रखे। पुरोहित ने विद्यालय के आचार्यों, दीदीजी और सभी अभिभावकों व शुभचिंतकों से भी आग्रह कि वे राष्ट्र के प्रति समर्पण का संस्कार विद्यार्थियों में विकसित करें। पुरोहित ने पाकिस्तान के आतंकी कारनामों व छद्‌म युद्ध की चर्चा करते हुए कहा कि देश आज केवल सीमा और सीमा पार की चुनौतियों से ही नहीं जूझ रहा है, अपितु जातिवाद, साम्प्रदायिक तुष्टीकरण, समाज को बाँटने वाले झूठे नैरेटिव से भी युद्ध कर रहा है और भावी भारत भाग्य विधाता के रूप में विद्यार्थियों की एक ऐसी प्रखर व मुखर पीढ़ी की रचना समय की माँग है जो इस राष्ट्र को स्वाभिमानी, शक्तिशाली और समृद्ध बनाने के लिए प्रतिक्षण तत्पर रहे।

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कार्यक्रम की अध्यक्षीय आसंदी से अपने संबोधन में विद्यालय के प्राचार्य नंदूराम निर्मलकर ने भारत-पाक युद्धों और शेख अब्दुल्ला के कारनामों पर प्रकाश डाला और महाराजा हरिसिंह से माफी मांगकर जेल से छूटने का ब्योरा दिया।  निर्मलकर ने कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम का शुभारंभ ओम्, भारत माता, सरस्वती माता व अमर शहीदों के चित्रों के पूजन व दीप प्रज्जवलन से हुआ। कार्यक्रम का संचालन बहन सृष्टि साहू व साधना देवांगन ने किया। इस अवसर विद्यार्थी भैया-बहनों व आचार्य-परिवार के साथ-साथ अभिभावक व गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।

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