निर्जला एकादशी 2023 (Nirjala Ekadashi 2023) : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस वर्ष निर्जला एकादशी 31 मई बुधवार को पड़ रही हैं. इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने से सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। यदि आप इस दिन बिना अन्न जल का व्रत रखने जा रहे हैं तो 3 बातों का विशेष ध्यान रखें तभी आपको एकादशी का फल प्राप्त होगा।
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1. निर्जल : शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग कर देना चाहिए और अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारण के समय जल ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जहां वर्ष की सभी एकादशियों का फल मिलता है, वहीं पूरे वर्ष शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित नहीं करना चाहिए और न ही उसे छूना चाहिए। क्योंकि तुलसी माता इस दिन उपवास में रहती है।
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2. भोजन : यदि आप निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत नहीं कर रहे हैं तो भी इस दिन चावल, पान, नमक, पान, मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोबी, सेम, तामसिक भोजन नहीं करते हैं।
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3. कर्म : निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन भूलकर भी स्त्री संग प्रसंग नहीं करना चाहिए। मनसा, वाचा और कर्मणा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन व्रत करते समय किसी के प्रति मन में बुरे विचार नहीं रखने चाहिए। चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है। इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। हर तरह के वाद-विवाद से बिल्कुल दूर रहना चाहिए। इस दिन पलंग पर नहीं सोना चाहिए। भूमि पर ही आराम करना चाहिए। इस दिन झाडू और पोछा नहीं लगाना चाहिए क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लगता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। इस दिन लकड़ी का दातुन न करें।