Maha Ashtami 2021, जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और कथा

चैत्र नवरात्रि : Maha Ashtami 2021, होगी मांमहागौरी की पूजा

Maha Ashtami 2021 (महा अष्टमी) : पंचांग के अनुसार 20 अप्रैल मंगलवार को चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है. चैत्र नवरात्रि की अष्टमी की तिथि में मां महागौरी की पूजा की जाती है. नवरात्रि में महागौरी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है. महागौरी की पूजा करने से मन शांत और शुद्ध होता है. नकारात्मक विचारों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही मां की पूजा करने से बल और बुद्धि का भी विकास होता है.

यह भी पढ़ें :-

Covid-19 In Chhattisgarh, कहर जारी, 13834 नए संक्रमित, 175 की मौत

Maha Ashtami 2021 (महा अष्टमी) की पौराणिक कथा के अनुसार मां महागौरी ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी. भगवान शिव तपस्या से प्रसन्न हुए और मां महागौरी को स्वीकार कर लिया. कई वर्षों तक कठोर तपस्या करने के कारण मां महागौरी का शरीर काला पड़ गया और उन पर धूल मिट्टी जम गई. तब भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से नहलाया. भगवान शिव द्वारा मां को स्नान कराने से उनका शरीर स्वर्ण के समान चमकने लगा. तभी से मां के इस स्वरूप को महागौरी नाम दिया गया.

यह भी पढ़ें :-

छत्तीसगढ़ में शर्तों के साथ बैंक खोलने की अनुमति, जाने क्या

महागौरी को एक सौम्य देवी माना गया है. महागौरी को मां दुर्गा की आठवीं शक्ति भी कहा गया है. महागौरी की चार भुजाएं हैं और ये वृषभ की सवारी करती हैं. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है.

पूजा विधि :

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि महागौरी को समर्पित है. इस दिन मां महागौरी को नारियल का भोग लगाते हैं. महागौरी की पूजा अन्य देवियों की तरह की जाती है. लेकिन मां महागौरी की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है. रात की रानी के पुष्प का प्रयोग करना चाहिए. क्योंकि ये फूल माता को अधिक पसंद है. माता को चौकी पर स्थापित करने से पहले गंगाजल से स्थान को पवित्र करें और चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका यानी 16 देवियां, सप्त घृत मातृका यानी सात सिंदूर की बिंदी लगाकर स्थापना करें. मां महागौरी की सप्तशती मंत्रों से पूजा करनी चाहिए.

यह भी पढ़ें :-

रामनवमी 2021 को बन रहा हैं ये शुभ संयोग, होगा समृद्धिदायक

पूजा की सामग्री

– गंगा जल

– शुद्ध जल

– कच्चा दूध

–  दही

– पंचामृत

– वस्त्र

– सौभाग्य सूत्र

– चंदन रोली,

– हल्दी, सिंदूर

– दुर्वा

– बिल्वपत्र

इसके साथ ही आभूषण,पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग और अगरबत्ती आदि का प्रयोग पूजा में करना चाहिए.

अष्टमी (Maha Ashtami 2021) तिथि शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार 20 अप्रैल मंगलवार को रात्रि 12 बजकर 01 मिनट के बाद से अष्टमी की तिथि का आरंभ होगा. 21 अप्रैल रात्रि 12 बजकर 43 मिनट पर अष्टमी की तिथि का समापन होगा , इसके बाद नवमी की तिथि प्रारंभ होगी.

यह भी पढ़ें :-

ये नेचुरल फेस पैक (Natural Face Pack) देतें हैं, इंस्टेंट ग्लो, दमकेगा चेहरा

कन्या पूजन की विधि

अष्टमी की तिथि में कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. कन्या पूजन में 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है. इसमें एक लड़के को भी आमंत्रित किया जाता है. इस लड़के को बटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है. इसे लंगूरा भी कहा जाता है. सभी को आसन प्रदान करें और तिलक करें. सभी कन्याओं और लंगूरा को आदर और प्रेमभाव से भोजन कराएं. भोजन करने के बाद सभी को उपहार आदि प्रदान करें. कन्याओं के चरण स्पर्श कर प्रेमभाव से विदा करें.

मंत्र

– श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:.

   महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददो.

– या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता.

   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.

–  ओम महागौरिये: नम:.

यह भी पढ़ें :-

कोरोना वैक्सीन, 1 मई से 18 वर्ष से अधिक के सभी लगवा सकेंगे

Related Articles