रायपुर (अविरल समाचार) : प्रदूषण से कोरोना बढ़ने की चेतावनी के मद्देनजर पटाखों पर बैन की मांग उठने लगी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी इस पर कोई निर्णय तो नहीं लिया है, लेकिन प्रदेश में भी अलग-अलग संस्थाओं की तरफ से दिल्ली की तर्ज पर पटाखों पर बैन की मांग उठने लगी है। आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने कोरोना के मद्देनजर प्रदूषण पर रोकथाम के लिए पटाखों फोड़ने और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने पटाखे पर बैन लगाने से इंकार कर दिया है। वहीं पर्यावरण मंत्रालय ने भी अपने स्तर से पटाखों पर बैन लगाने से इंकार कर दिया है।
इधर, छत्तीसगढ़ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ महेश सिन्हा ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 18 राज्य सरकारों को पटाखों के संदर्भ में दिए गए नोटिस का स्वागत किया है और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से आग्रह किया है कि पटाखों पर प्रतिबंध न केवल आने वाले महीनों में जारी रखा जाए बल्कि जब तक कोरोना संक्रमण काल बीत नहीं जाता तब तक इन पर रोक लगाई जानी चाहिए। डॉ महेश सिन्हा ने यह भी आग्रह किया है कि बड़े शहरों में औद्योगिक और वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर भी रोक लगाए जाने के बारे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को पहल करनी चाहिए।
आपको बता दें कि पटाखों पर प्रतिबंध के मुद्दे पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) 9 अक्टूबर को सुबह साढ़े 10 बजे फैसला सुनाएगा. दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के मद्देनजर राज्य सरकार ने ग्रीन पटाखे चलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. यह प्रतिबंध 30 नवंबर तक लागू रहेगा. लेकिन उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों ने फिलहाल पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का कोई आदेश जारी नहीं किया है. दूसरी ओर पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि फिलहाल उनके पास कोई ऐसी स्टडी नहीं है जिससे साफ हो सके कि पटाखों के इस्तेमाल के बाद कोरोना केस और बढ़ेंगे.
हरियाणा सरकार ने एनजीटी में दाखिल किए गए अपने जवाब में कहा है कि वह अपने राज्य में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है. हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के मद्देनजर अगर एनजीटी को ऐसा लगता है कि दिल्ली एनसीआर में आने वाले शहरों मसलन फरीदाबाद और गुरुग्राम में पटाखे चलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ सकता है तो वहां प्रतिबंध लगाया जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार को लगता है कि पूरे हरियाणा में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है.
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पूरे मामले पर एनजीटी से कहा है कि प्रदूषण और पटाखों के इस्तेमाल से जुडे मामले पहले ही सुप्रीम कोर्ट सुन रहा है. इसी महीने नवंबर में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होनी है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला करने में सक्षम है.