ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे
रायपुर (अविरल समाचार). कहा जाता हैं कि शिवरात्रि को शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. भगवान महादेव को शास्त्रों में आत्म रूप और इस रूप को उन्नति देने के लिए मन वाहन का कार्य करता है आइये जानते है ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे से कैसे है शिवरात्रि इन दोनों के मध्य परस्पर सामंजस्य विकसित करने वाला पर्व
शिवरात्रि को शिव और पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में मनाने के प्रमाण भी मिलते हैं। हम सभी अवगत हैं कि शास्त्रों में शिव को परम सत्य और आत्म के रूप में प्रदर्शित किया गया है जबकि माँ पार्वती को शक्ति, धरा और सौन्दर्य की अधिष्ठात्री देवी के रूप में दर्शाया गया है।
खगोलीय दृष्टि से शिवरात्रि वर्ष का वह दिन होता है जब सूर्य और चन्द्र सबसे निकट होते हैं। शिव को “चन्द्रशेखर” भी कहा गया है। तात्पर्य यह है कि शिवरात्रि का पर्व किसी भी प्राणी के जीवन को वास्तविक अर्थ देने वाले आत्मा तत्व और उस तत्व की उन्नति के लिये वाहन का कार्य करने वाले “मन” के मध्य परस्पर सामंजस्य विकसित करने वाला पर्व है। यह पर्व सत्य और शक्ति दोनो को ही पोषित करने वाला पर्व भी है।