नई दिल्ली(एजेंसी): कोरोना वायरस का नया ग्लोबल हॉट स्पॉट बन कर उभरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी की संभावना पूरी तरह धूमिल होती जा रही है. रिकवरी की संभावनाएं कम दिख रही थीं लेकिन अब यह कम हो गई हैं. अर्थशास्त्रियों और ग्लोबल वित्तीय संस्थानों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ की बेहद कमजोर संभावनाएं जता रहे हैं.
एशियन डेवलपमेंट बैक ने न्यूनतम स्तर पर पहुंच के ग्रोथ के आकलन में और कटौती कर दी है. कोरोनावायरस संक्रमण में बहुत ज्यादा इजाफा होने के बाद से एडीबी ने यह अनुमान व्यक्त किया है. गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी में 14.8 फीसदी की गिरावट आए जबकि एडीबी ने -9 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है. ओईसीडी ने इकनॉमी में 10.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की है.
कोरोना वायरस संक्रमण को काबू में नाकामी की वजह से बिजनेस एक्टिविटी और कंजप्शन में भारी गिरावट आई है, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. भारत में लगाया गया लॉकडाउन सबसे कड़ा रहा. यहां दुनिया में सबसे ज्यादा देर तक लॉकडाउन भी रहा. देश में इस सप्ताह कोरोना संक्रमण पचास लाख का आंकड़ा पार कर गया. मौतों के मामले में अब सिर्फ अमेरिका और ब्राजील ही भारत से आगे हैं.
दुनिया भर में कोरोनावायरस संक्रमण की दूसरी लहर दिख रही है वहीं भारत अपने संक्रमण के पहली लहर को ही काबू नहीं कर सका है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रिंसिपल इकोनोमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश की इकनॉमी में 11.8 फीसदी की गिरावट आएगी. पहले जताए गए 5.8 फीसदी की गिरावट की तुलना में यह बहुत ज्यादा है. वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इकनॉमी में 23.9 फीसदी की गिरावट के बाद गोल्डमैन सैक्स ने अपने अनुमान में और गिरावट दर्ज की है.