नई दिल्ली(एजेंसी): भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने का रिवाज है. यह परंपरा 1962 से चली आ रही है. देश के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई. पांच सितंबर को ही राधाकृष्णन की जयंती होती है.
तमिलनाडु में 1988 में जन्मे सर्वपल्ली राधाकृष्णन मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अध्यापन का कार्य शुरू किया. आगे चलकर मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हुए और फिर देश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। 1939 से लेकर 1948 तक वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीचयू) के कुलपति भी रहे. वे एक दर्शनशास्त्री, भारतीय संस्कृति के संवाहक और आस्थावान हिंदू विचारक थे.
उन्होंने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की. शुरुआत से ही पढ़ाई में कुशल होने के चलते क्रिश्चियन कॉलेज मद्रास ने उनकी विशेष योग्यता के कारण छात्रवृत्ति प्रदान की. डॉ राधाकृष्णन ने 1916 में दर्शन शास्त्र में मास्टर्स किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में इसी विषय के सहायक प्राध्यापक का पद संभाला.
करीब तीन दशक तक अध्यापन कार्य करने वाले राधाकृष्णन ने भारत की आजादी के बाद यूनिस्को में देश का प्रतिनिधित्व किया. इसके अलावा वे 1949 से लेकर 1952 तक सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे. वर्ष 1952 में उन्हें देश का पहला उपराष्ट्रपति बनाया गया. जवाहर लाल नेहरू सरकार ने उन्हें साल 1954 में भारत रत्न देकर सम्मानित किया था. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के उत्तराधिकारी के तौर पर उन्हें 1962 में उन्हें देश का दूसरा राष्ट्रपति चुना गया.
वहीं अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस का आयोजन हर साल 5 अक्टूबर को होता है. इसके अलावा कई देशों में अलग-अलग दिन भी शिक्षक दिवस मनाया जाता है. सिंगापुर में सितंबर के पहले शुक्रवार को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, जबकि चीन में 10 सितंबर को ही यह दिवस मनाया जाता है।