नई दिल्ली (एजेंसी). नौकरियों : देश में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से बढ़ी बेरोजगारी को खत्म करने के लिए सरकार की कोशिश जारी है. लेकिन इसके लिए जीडीपी ग्रोथ रेट को रफ्तार देनी होगी. मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को नौकरियों की तादाद बढ़ाने के लिए हर साल 8 से 8.5 फीसदी की रफ्तार से ग्रोथ हासिल करनी होगी. इंस्टीट्यूट ने कहा है कि भारत को 2022-23 से 2029-30 तक यानी 8 साल में नौ करोड़ अतिरिक्त नौकरियों की जरूरत होगी. लगभग 9 करोड़ लोग गैर कृषि रोजगार की तलाश में होंगे.
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कोविड-19 से आर्थिक गतिविधियों के ठप होने के कारण पिछले पांच साल में लाखों लोगों की नौकरियां चली गई हैं. मैकिंजी का कहना है कि इन लोगों को वापस नौकरियों में लाने के लिए भारत को 8 से 8.5 फीसदी की दर से ग्रोथ हासिल करनी होगी. हालांकि मैकेंजी ने इस आंकड़े 5.50 करोड़ महिलाओं को शामिल नहीं किया है, जो दोबारा नौकरियों में आ सकती हैं.
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मैकेंजी ने कहा है कि भारत को तेज आर्थिक सुधारों की जरूरत है. अगर भारत ने ये सुधार नहीं किए तो अर्थव्यवस्था दशकों तक कमजोर बनी रहेगी. मैकिंजी ने कहा है कि 2022-23 से लेकर 2029-30 तक आठ वर्षों में छह करोड़ नए कामगार रोजगार मार्केट में दाखिल होंगे. वहीं तीन करोड़ कामगार कृषि सेक्टर से निकल कर दूसरे सेक्टर में नौकरी की तलाश करेंगे. कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत की ग्रोथ रेट में गिरावट की आशंका जताई है. एजेंसियों ने जीडीपी ग्रोथ रेट में 5 से लेकर 15 फीसदी तक गिरावट की आशंका जताई है. इस बीच जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने कहा है कि अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी 15.2 फीसदी तक घट सकती है.
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