नई दिल्ली(एजेंसी): गुरुवार (23 जुलाई, 2020) को दिल्ली के सर्राफा बाजार में 24 कैरेट सोने के दाम 51 हजार रुपये (दस ग्राम) के स्तर को पार कर गए. गोल्ड की अंतरराष्ट्रीय कीमत में इजाफे के साथ ही भारत में भी सोने के दाम पिछले कुछ महीनों से नए रिकार्ड बना रहे हैं. गोल्ड में इस तेजी ने करोड़ों भारतीयों की संपत्ति घर बैठे-बैठे बढ़ा दी है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड की कीमतों में उछाल से भारतीय घरों में रखे हजारों टन सोने की कीमत अचानक बढ़ गई है. आइए जानते हैं, गोल्ड में आसमान छूती इस तेजी से भारतीयों की संपत्ति कितनी बढ़ गई है.
गोल्ड सुरक्षित निवेश माना जाता है. इसे कभी भी बेच कर कैश हासिल किया जा सकता है. आखिर, दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से पैदा मंदी के इस दौर में गोल्ड की कीमत बढ़ने की सबसे बड़ी वजह क्या है? दरअसल मंदी के इस दौर में जब दुनिया भर के शेयर बाजार खराब प्रदर्शन कर रहे हैं तो निवेशक रिटर्न के हिसाब से सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड में इनवेस्टमेंट बढ़ा रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड 1877 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच चुका है. इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक इसके दाम 32.5 फीसदी बढ़ चुके हैं. यानी अगर आपने इस साल की शुरुआत में गोल्ड में 100 रुपये लगाए होते यह बढ़ कर 132.50 रुपये हो जाता. गोल्ड में इस तेजी को देखते हुए निवेशक ताबड़-तोड़ सोना खरीद रहे हैं और यह इसकी कीमतों को नई ऊंचाई की ओर ले जा रहा है.
पिछले तीन महीनों के दौरान डॉलर की कीमत में लगातार गिरावट आई है. दुनिया भर की करंसी बास्केट की तुलना में डॉलर की वैल्यू 6 फीसदी तक घट गई है.गोल्ड का कारोबार अमूमन डॉलर में होता है. इसलिए जब डॉलर की कीमत बढ़ती है, यानी जब यह महंगा हो जाता है तो रुपये जैसी दूसरी करंसी में गोल्ड खरीदना भी महंगा हो जाता है, और इसकी कीमतें गिरने लगती हैं.इसी तरह जब डॉलर सस्ता हो जाता है दूसरी करंसी रखने वाले निवेशक के लिए सोना सस्ता हो जाता है. इससे इसकी मांग बढ़ने लगती है और सोना महंगा होने लगता है.डॉलर की कीमतों में गिरावट के अलावा कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ने, अमेरिका-चीन और अमेरिका के बीच तनाव ने भी गोल्ड की कीमत बढ़ा दी है.
गोल्ड की कीमत बढ़ने से भारत में ज्वैलरी डिमांड में जबरदस्त कमी आई है. रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट श्रीराम अय्यर ने अंग्रेजी अखबार ‘डेक्कन हेराल्ड’ को बताया कि भारत में कुल सोने की मांग में 50 फीसदी हिस्सेदारी ज्वैलरी की है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक 2020 की पहली तिमाही में भात में ज्वैलरी डिमांड 41 फीसदी घट कर 74 टन रह गई है. 2019 की पहली तिमाही में यह 125 टन थी. लेकिन निवेशक बेहतर रिटर्न के लिए गोल्ड में निवेश बढ़ा रहे हैं. गोल्ड में बढ़ता निवेश ही इसकी कीमत बढ़ा रहा है.
सोना महंगा होने की वजह से भारत में इस वक्त लोग ज्वैलरी काफी कम खरीद रहे हैं. यानी इसकी खुदरा मांग कम हो गई है. लेकिन सांस्कृतिक वजहों से भारत में गोल्ड की खपत काफी ज्यादा है और यह इस मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारतीय घरों में 24 से 25 हजार टन गोल्ड हो सकता है. इसकी कुल कीमत 1,135 अरब डॉलर हो सकती है. यह रकम भारत की नॉमिनल जीडीपी का 40 फीसदी है. यह आंकड़ा 2019 का है.
मई 2019 में भारतीय बाजार में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 32,480 रुपये (दस ग्राम) थी. जबकि गुरुवार (23 जुलाई,2020) को इसकी कीमत 51 हजार रुपये तक पहुंच गई. यानी एक ही साल मे इसकी कीमत 36 फीसदी बढ़ गई है. अगर पिछले साल मई में किसी के पास एक करोड़ रुपये का सोना होगा तो आज इसकी कीमत 1 करोड़ 36 लाख रुपये हो चुकी है. इस तरह आप भारतीय घरों रखे सोने की कीमत का हिसाब लगा सकते हैं.