नई दिल्ली(एजेंसी): देश के निर्यात में जून महीने में 12.51 फीसदी गिरावट आयी. यह लगातार चौथा महीना है जब निर्यात घटा है. मुख्य रूप से पेट्रोलियम, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और रत्न और आभूषण के निर्यात में गिरावट से कुल निर्यात कम हुआ है. हालांकि आयात में 47.59 फीसदी की गिरावट के कारण 18 साल में पहली बार व्यापार अधिशेष की स्थिति आयी है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के बुधवार को जारी आंकड़े के अनुसार कोविड-19 के कारण कमजोर वैश्विक मांग से जून में निर्यात 12.41 फीसदी घटकर 21.91 अरब डॉलर रहा. हालांकि जून में निर्यात का आंकड़ा सुधरा है. क्योंकि अप्रैल में इसमें 60.28 फीसदी और मई में 36.47 फीसदी की गिरावट आयी थी.
आंकड़ों के अनुसार आयात भी लगातार चौथे महीने घटा. जून के महीने में यह 47.59 फीसदी घटकर 21.11 अरब डॉलर रहा. इसके कारण जून महीने में 0.79 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष यानी ट्रेड सरप्लस की स्थिति रही. पिछले 18 साल में यह पहला मौका है जब ट्रेड सरप्लस की स्थिति उत्पन्न हुई है. इससे पहले, जनवरी, 2002 में 10 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष हुआ था.
तेल आयात जून महीने में 55.29 फीसदी घटकर 4.93 अरब डॉलर रहा. सोना आयात भी आलोच्य महीने में 77.42 फीसदी घटकर 60.87 करोड़ डॉलर रहा.
निर्यात वाले जिन क्षेत्रों में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है, उसमें रत्न और आभूषण (-50 फीसदी), चमड़ा (-40.5 फीसदी), पेट्रोलियम उत्पाद (-31.65 फीसदी), इंजीनियरिंग सामान (-7.5 फीसदी), सभी प्रकार के कपड़ों सिले-सिलाये परिधान (-34.84 फीसदी), काजू (-27 फीसदी) शामिल हैं.
आयात खंड में जिन क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गयी है, उसमें सोना, चांदी, परिवहन उपकरण, कोयला, उर्वरक, मशीनरी और मशीन उपकरण शामिल हैं. हालांकि तिलहन, कॉफी, चावल, तंबाकू, मसाला, औषधि और रसायन के निर्यात में जून में वृद्धि दर्ज की गयी.
आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में भारतीय तिलहन और उपज निर्यात संवर्धन परिषद (आईओपीईपीसी) के चेयरमैन खुशवंत जैन ने कहा कि अच्छा उत्पादन होने और निर्यात बढ़ाने के सरकार के उपायों से तिलहन निर्यात बढ़ा है. जैन ने कहा, ‘‘आने वाले महीनों में भी वृद्धि बने रहने की उम्मीद है. वाणिज्य मंत्रालय हमारे सभी मसलों का समाधान कर रहा है.’’
भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद (टीपीसीआई) के चेयरमैन मोहित सिंगला ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे सुधर रही हैं. कई कामगार अब कामों खासकर विनिर्माण क्षेत्रों में लौटने लगे हैं. इससे विनिर्माण क्षेत्र में गतिविधियां सामान्य हो रही है और उद्योग वैश्विक मांग को पूरा करने के लिये तैयार हो रहा है.
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून में वस्तु निर्यात सुधरा है लेकिन आयात लगातार कमजोर बना हुआ है जिससे व्यापार अधिशेष की स्थिति उत्पन्न हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘आयात में देरी से सुधार को देखते हुए हमारा अनुमान है कि वस्तु व्यापार घाटा 2020-21 की पहली तिमाही में कम होकर 10 से 12 अरब डॉलर रहेगा जो 2019-20 की पहली तिमाही में करीब 46 अरब डॉलर था. हमारा अनुमान है कि चालू खाते के मोर्चे पर 2020-21 की पहली तिमाही में करीब 14 से 16 अरब डॉलर का अधिशेष होगा.’’
निर्यात संगठनों का महासंघ (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि जून महीने का आंकड़ा बताता है कि व्यापार अधिशेष 0.79 अरब डॉलर रहा. इससे पहले जनवरी 2002 में ऐसी स्थति हुई थी.
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हमें आयात का विश्लेषण करना होगा. आयात में इतनी बड़ी गिरावट से औद्योगिक पुनरूद्धार आने वाले महीनों में प्रभावित हो सकता है. मेरा विचार है कि निर्यात को गति देने के लिये विभिन्न देशों के एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) पर ध्यान देना चाहिए….’’ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून के दौरान निर्यात 36.71 फीसदी घटकर 51.32 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 52.43 फीसदी घटकर 60.44 अरब डॉलर रहा.
इससे वित्त वर्ष के पहले तीन महीने में व्यापार घाटा 9.12 अरब डॉलर रहा. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तेल आयात 62.47 फीसदी घटकर 13.08 अरब डॉलर रहा. एक साल पहले इसी तिमाही में यह 34.85 अरब डॉलर का था. वित्त वर्ष 2019-20 में निर्यात 314.31 अरब डॉलर रहा था.