नए और पुराने टैक्स सिस्टम में से चुनने में गलती हो गई तो इस तरह कर सकते हैं चेंज

नई दिल्ली(एजेंसी): नया वित्त वर्ष शुरु हुए 20 दिन हो चुके हैं और ज्यादातर एंप्लाई ने अब तक अपने एंप्लॉयर को इस बात की जानकारी दे दी होगी कि वो नए टैक्स सिस्टम में जाना चाहते हैं या पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत ही अपने टैक्स का भुगतान करेंगे. दरअसल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में इस बात की जानकारी दी थी कि दो तरह की टैक्स व्यवस्था होगी और सैलरीड क्लास इसमें से नई या पुरानी टैक्स सिस्टम को चुन सकेंगे.

अगर आपने अपने एंप्लॉयर को इस बात की जानकारी दी है कि आप पुराना वाला टैक्स सिस्टम ही चुनेंगे लेकिन अब आपको लगता है कि नए टैक्स सिस्टम को लेना चाहिए था तो घबराएं नहीं. अभी भी आपके पास मौका है. कैसे आप इस सिस्टम को चुन सकते हैं ये हम यहां बताएंगे.

एंप्लॉयर को जानकारी दे दी है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में रहेंगे लेकिन अगर आप नए टैक्स सिस्टम में जाना चाहते हैं तो इस साल इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय नए टैक्स सिस्टम को अपना सकते हैं. हालांकि एक बात का ध्यान रखना होगा कि आईटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) फाइल करने से पहले आप टैक्स सिस्टम बदल नहीं सकते. इसी के साथ अगर दूसरी परिस्थिति हो यानी आपने नया टैक्स सिस्टम चुन लिया है और आप पुराने टैक्स सिस्टम में रहना चाहते हैं तो आईटीआर फाइल करते समय अपने ऑप्शन को बदल सकते हैं.नए टैक्स सिस्टम में टैक्स रेट तो कम हैं लेकिन उसमें मिलने वाले एग्जेम्पशंस और डिडक्शंस की सुविधा खत्म हो जाएगी. वहीं पुराने टैक्स सिस्टम में टैक्स रेट तो वही रहेगा लेकिन आपको एग्जेम्पशंस और डिडक्शन्स की सुविधा की इजाजत मिलती रहेगी.

नए टैक्स स्लैब के मुताबिक, 2.5 लाख रुपये तक आमदनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं, 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक इनकम पर 5 फीसदी, 5 लाख रुपये से लेकर 7.5 लाख रुपये तक इनकम पर 10 फीसदी, 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक इनकम पर 15 फीसदी, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की इनकम पर 20 फीसदी, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की इनकम पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से लेकर इससे ऊपर की इनकम पर 30 फीसदी की दर से आपको इनकम टैक्स देना होगा.

एंप्लॉयर की ओर से टैक्स कटौती के लिए एंप्लॉई को दोनों टैक्स सिस्टम्स के बीच चुनना पड़ता है और इस काम को ज्यादातर संस्थानों में कर लिया गया है. हालांकि अगर आपको ऐसा लगता है कि आपने जो चुनाव किया है उसमें आपको अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ रहा है तो जब रिटर्न फाइल करें तो विकल्प बदल सकते हैं. जब एंप्लाई अपना ऑप्शन बदल लेगा तो यदि एक्स्ट्रा टैक्स चुकाया गया होगा तो रिटर्न फाइल करने पर रिफंड क्लेम कर सकते हैं.

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