छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वावलंबन और विकास की अलख जगाई : राज्यपाल
गणतंत्र की सफलता जनता के सपनों को पूरा करने में : भूपेश बघेल
रायपुर (अविरल समाचार). 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ (Chhattisgrh) में राज्यपाल (Governor) सुश्री अनुसुईया उइके ने राजधानी रायपुर (Raipur) और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने बस्तर के जगदलपुर (Jagdalpur)में ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली वहीँ प्रदेश के मंत्रियों, विधायकों ने भी विभन्न स्थानों पर ध्वजारोहण किया. मुख्य आयोजन राजधानी रायपुर के पुलिस मैदान में आयोजित किया गया. इस अवसर राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने गांव-गांव में स्वावलंबन और विकास की अलख जगाई हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने परेड की सलामी लेने के बाद जनता के नाम अपने संदेश में कहा कि गणतंत्र की सफलता की कसौटी जनता से सीखकर, उनकी भागीदारी से, उनके सपनों को पूरा करने में है।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज यहां पुलिस परेड ग्राउंड में 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया। उन्होंने परेड का निरीक्षण किया और सलामी ली। राज्यपाल ने प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज का दिन हम सभी भारतवासियों के लिए अपार गौरव का है। जिन मनीषियों एवं महान नेताओं के कारण भारत को विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान मिला, आज उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है।
राज्यपाल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर नेहरू, प्रथम विधि मंत्री बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को विशेष तौर पर याद करते हुए भारत को आजादी दिलाने के लिए त्याग और बलिदान करने वाले सभी भारतवासियों, शहीदों और पुरखों को भी नमन किया। साथ ही देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों, अपनी अमिट आस्था से संविधान के अनुसार देश को चलाने में सहयोग करने वाले महानुभावों को भी नमन किया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग’ से शुरू होती है, अर्थात गणतंत्र में गण का सर्वाधिक महत्व है। राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ के जन-जन का अभिवादन किया, जिनके कारण छत्तीसगढ़ प्रदेश का विकास और यश लगातार बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने गांव-गांव में स्वावलंबन और विकास की अलख जगाकर किसानों, ग्रामीणों, महिलाओं, युवाओं के लिए कार्य करने का प्रयास किया है। 25 सौ रूपये में धान खरीदी तथा कर्ज माफी जैसे फैसलों से किसानों का मनोबल बढ़ा है। ‘‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’’ के विकास हेतु बहुआयामी पहल करते हुये छत्तीसगढ़ ने पर्यावरण-सम्मत विकास का नया मॉडल प्रस्तुत किया है। ऐसी पहल से राज्य की छवि तथा प्रतिष्ठा बढ़ी है। नई औद्योगिक नीति में ऐसे प्रावधान किए गये हैं कि स्थानीय संसाधनों, खनिजों और स्थानीय उपजों का ‘वेल्यू एडीशन’ अर्थात मूल्य संवर्धन हो और लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के लालबाग परेड मैदान में आयोजित गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली। इस अवसर पर उन्होंने जनता के नाम अपने संदेश में कहा कि गणतंत्र की सफलता की कसौटी जनता से सीखकर, उनकी भागीदारी से, उनके सपनों को पूरा करने में है। श्री बघेल ने प्रदेशवासियों को देश के 71वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि छत्तीसगढ़ की माटी और छत्तीसगढ़ की जनता से बड़ी कोई पाठशाला नहीं है। मैं जितनी बार बस्तर आता हूं, सरगुजा जाता हूं या गांव-गांव का दौरा करता हूं तो हर बार मुझे कोई नई सीख जरूर मिलती है। लोहण्डीगुड़ा ने हमें आदर्श पुनर्वास कानून के पालन की सीख दी तो आदवासियों की जमीन वापसी से छत्तीसगढ़ सरकार को अपार यश मिला। कुपोषण मुक्ति के लिए नवाचार और दृढ़संकल्प की शुरूआत दंतेवाड़ा से हुई। बीजापुर ने दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का प्रण दिया। सुकमा तथा बस्तर जिले में फूडपार्क, कोण्डागांव में मक्का प्रोसेसिंग इकाइयां लगाने का जज्बा दिया।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी में सम्बोधन की शुरूआत करते हुए कहा कि जम्मो संगी-जहुंरिया, सियान-जवान, दाई-बहिनी अऊ लइका मन ला जय जोहार, 71वें गणतंत्र दिवस के पावन बेरा म आप जम्मो मन ल बधाई अउ सुभकामना देवत हंव।
मुख्यमंत्री ने की तीन बड़ी घोषणाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैं नई पीढ़ी को जागरूक और सशक्त बनाने के संबंध में तीन नई घोषणाएं करता हूं। जब केन्द्र में यूपीए सरकार थी तब ’शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009’ में प्रावधान किया गया था कि बच्चों को यथासंभव उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाये। विडंबना है कि राज्य में अभी तक इस दिशा मंे ठोस पहल नहीं की गई। आगामी शिक्षा सत्र से प्रदेश की प्राथमिक शालाओं में स्थानीय बोली-भाषाओं छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, भतरी, सरगुजिया, कोरवा, पांडो, कुडुख, कमारी आदि में पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी। सभी स्कूली बच्चों को संविधान के प्रावधानों से परिचित कराने के लिए प्रार्थना के समय संविधान की प्रस्तावना का वाचन, उस पर चर्चा जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे। छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों की जीवनी पर परिचर्चा जैसे आयोजन किए जाएंगे।