रायपुर (अविरल समाचार). रायपुर (Raipur) शहर के सिंहासन के लिए होने वाले चुनाव में दोनों प्रमुख दलों ने कमर कस ली है. भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) में यहां के लिए बैठकों का दौर जारी हैं. वार्ड और ब्लाक से नाम आ चुके हैं. कांग्रेस की शहर कमेटी की तीन दौर की बैठक हो चुकी हैं भाजपा में अनौपचारिक बैठकें हो चुकी हैं औपचारिक कल होने वाली हैं. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बड़े नेताओं के सिंगल नाम प्रदेश को भेजे जा रहें हैं. कार्यकर्त्ता पैनलों में उलझ गए हैं. जिसमे दोनों दलों के महापौर पद के प्रमुख दावेदारों का नाम उनके वार्डों से सिंगल हैं. जिसे प्रदेश से भी हरी झंडी मिलना लगभग तय हैं.
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कांग्रेस से वर्तमान महापौर प्रमोद दुबे, एजाज ढेबर, ज्ञानेश शर्मा महापौर पद के प्रमुख दावेदार हैं. वहीं भाजपा से वर्तमान सभापति प्रफ्फुल विश्वकर्मा, पूर्व सभापति और आरडीए अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, वर्तमान नेता प्रतिपक्ष सूर्यकांत राठौर प्रमुख दावेदार हैं. इन सभी का सिंगल नाम वार्ड, ब्लाक और शहर से हैं. जिसमे वार्ड क्रमांक 57 भगवती चरण से प्रमोद दुबे (कांग्रेस), वार्ड क्रमांक 37 तात्यापारा से प्रफ्फुल विश्वकर्मा (भाजपा), वार्ड क्रमांक 11 कालीमाता से संजय श्रीवास्तव (भाजपा), वार्ड क्रमांक 14 रमण मंदिर से सूर्यकांत राठौर (भाजपा), वार्ड क्रमांक 46 अब्दुल रउफ से एजाज ढेबर (कांग्रेस), वार्ड क्रमांक 40 ठाकुर प्यारेलाल से ज्ञानेश शर्मा (कांग्रेस) दावेदारी कर रहें हैं.
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इसके अलावा और भी दावेदार हैं जो अभी भी पैनल में उलझे हुए हैं जिसमे भाजपा से रमेश ठाकुर लक्ष्मीनारायण वार्ड, सुभाष तिवारी अरविन्द दीक्षित, मृत्युंजय दुबे सुन्दर नगर, कांग्रेस से श्रीकुमार मेनन परमहंस वार्ड, वर्तमान एमआईसी सदस्य सतनाम पनाग श्यामा मुखर्जी वार्ड से पैनल में उलझे हुए हैं, समीर अख्तर का राजीव पांडे वार्ड से और मदर टेरसा से अजित कुकरेजा का अकेला नाम हैं.
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सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बात को लेकर भी इन वार्डों में अंदर ही अंदर विरोध के स्वर उभर रहें हैं. कुछ को छोड़कर बाकी सभी अन्य वार्डों से दावेदारी कर रहें हैं चूँकि ये बड़े नाम हैं इसलिए उस वार्ड के अन्य कार्यकर्त्ता जो दावेदारी कर रहे थे वे तात्कालिक तौर पर तो खामोश हैं मगर समय आने पर मुखर हो सकते हैं. कुछ वार्डों में तो बाहरी प्रत्याशी नहीं चलेगा के बैनर और पोस्टर भी लगे थे.
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कुल मिलाकर पार्टी की अंदरूनी जंग तो सभी जीत कर अपनी राह पहले दौर में तो निष्कंटक बना चुके हैं और प्रतिद्वंदी को उलझा दिया हैं. सभी 2-3 बार के पार्षद रहे हुए हैं जीत हार का समीकरण भी बैठाने में माहिर माने जाते हैं. फिर भी अंतिम फैसला तो जनता की अदालत में होगा. कौन बनेगा महापौर की पहली सीढी पार्षद बनने के बाद ही मिलेगी.
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