मुंबई (एजेंसी). महाराष्ट्र में मंगलवार को राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बावजूद शिवसेना कांग्रेस और शरद पवार की राकांपा के साथ सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई है. शिवसेना चाहती है कि एनसीपी के साथ गठबंधन की बातचीत किसी नतीजे पर पहुंचे, जिससे महाराष्ट्र में सरकार का गठन किया जा सके. सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी ने शिवसेना के सामने सरकार बनाने के लिए वही 50-50 का फॉर्मूला रखा है, जो शिवसेना ने बीजेपी के सामने रखा था. इसका मतलब साफ है कि ढाई साल मुख्यमंत्री शिवसेना का रहेगा और ढाई साल कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन का कोई नेता सीएम की कुर्सी पर रहेगा.
एनसीपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एनसीपी के विधायकों की संख्या शिवसेना से मात्र दो कम है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि एनसीपी को 54 सीटें हासिल हुईं थी. इस तरह अगर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार का गठन करती हैं तो यह संख्या 154 हो जाएगी.
इससे पहले मंगलवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दावा किया कि कांग्रेस और राकांपा के साथ वह अपने वैचारिक मतभेद भुलाकर स्थिर सरकार बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि ‘हमारी विचारधारा अलग-अलग है, लेकिन हम एक साथ आ सकते हैं. भाजपा और शिवसेना कई वर्षों से एक साथ थे, लेकिन अब शिवसेना को कांग्रेस-एनसीपी के साथ जाना है. हम दोनों दलों के साथ आगे की बातचीत करेंगे.’
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सोमवार को कई दौर की बातचीत हुई. एक कट्टर विरोधी विचारधारा वाली पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए कई बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन भी किया गया, लेकिन कांग्रेस ने सरकार गठन को लेकर किसी भी तरह की कोई तेजी नहीं दिखाई. बाद में राज्यपाल ने शरद पवार की पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. हालांकि उस विकल्प पर भी उस समय पूर्ण विराम लग गया, जब एनसीपी ने राज्यपाल से और समय की मांग कर डाली.
उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में लगाए गए राष्ट्रपति शासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इसी के साथ उन्होंने संकते दिए हैं कि वह कांग्रेस-एनसीपी के साथ कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के जरिए आगे का रास्ता तलाश सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी अलग-अलग विचारधाराओं के हैं. हमारे बीच आम सहमति बनाने को लेकर चर्चा हो रही है. जल्द ही हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं.