नई दिल्ली (एजेंसी) टेलीकॉम आयोग ने अगर मंगलवार को दूरसंचार नियामक ट्राई की सिफारिश पर मुहर लगा दी तो 4जी इस्तेमाल करने वाली ग्राहकों की इंटरनेट की स्पीड दोगुनी हो जाएगी। ट्राई ने ई और वी स्पेक्ट्रम बैंड के डिलाइसेंस (जिसके उपयोग के लिए लाइसेंस की जरूरत न हो) को मंजूरी प्रदान करने को कहा है। आयोग 5 फरवरी को होने वाली बैठक में इसके लिए अनुमति प्रदान कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो दूरसंचार कंपनियों के साथ ग्राहकों को भी इसका लाभ मिलेगा। दुनिया में कहीं भी अभी तक ई और वी स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी नहीं हुई है। ई बैंड की क्षमता 71.86 मेगाहर्ट्ज और वी बैंड की क्षमता 57.64 मेगाहर्ट्ज होती है।
दूरसंचार मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने के लिए ट्राई ने इन बैंड को डिलाइसेंस करने की सिफारिश की है। 5 फरवरी को होने वाली बैठक में इस पर विचार किया जाएगा। अधिकारी के मुताबिक, मंजूरी मिलने के बाद सेवा प्रदाता कंपनियां ये बैंड लगाएंगी। इसके बाद ग्राहकों को दोगुनी तेज गति से इंटरनेट सेवा मिलेगी।
अधिकारी का कहना है कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए ट्राई ने जुलाई, 2017 में आयोग से सिफारिश की थी। दूरसंचार कंपनियों को दोनों बैंड मिलने से 5जी स्पेक्ट्रम शुरू करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा बैठक में कैपेटिव वी सैट के लिए लाइसेंस शुल्क घटाने की मंजूरी प्रदान किया जा सकता है। सेवा प्रदाता कंपनियों के अलावा एनटीपीसी, ओएनजीसी और बीपीसीएल भी कैपेटिव वी सैट का इस्तेमाल करती हैं।
आयोग से मंजूरी मिलने पर कंपनियों को दूसरे कैपेटिव वी सैट के लिए अलग शुल्क नहीं देना होगा। ट्राई ने शुल्क को 50 फीसदी कम करके 15 लाख करने की सिफारिश की है। इससे कंपनियों को दूरदराज इलाकों में कनेक्टिविटी देने में मदद मिलेगी।