250 रुपये की रिश्वत के आरोप में हुआ था बर्खास्त, 28 साल बाद कोर्ट ने किया बरी

नई दिल्ली (एजेंसी)। इंसान का संघर्ष कभी न कभी जरूर काम आता है। दिल्ली में कुछ ऐसा ही वाक्या देखने को मिला। जगन्नाथ नाम का एक कर्मचारी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत था। काम करने के दौरान उस पर घूस लेने का आरोप लगा और मामला कोर्ट तक पहुंच गया। अब करीब 28 साल बाद हाई कोर्ट ने जगन्नाथ को घूस लेने के मामले में बरी कर दिया।

बरी होने के बाद जगन्नाथ को उम्मीद है कि नगर निगम उसका ग्रेच्युटी देगा। जगन्नाथ के ऊपर आरोप लगा था कि एक घायल गाय को छोड़ने के एवज में 250 रुपये घूस मांगा था। आरोप लगने के बाद निगम ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।

अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से बातचती करते हुए कोर्ट से बरी होने के बाद जगन्नाथ ने कहा, “मैं साल 2002 में निगम से नौकरी छोड़ा था ग्रेच्युटी नहीं मिली थी। मैं डर गया था क्योंकि पिछले 10 साल का कोई रिकॉर्ड ही नहीं था।” जगन्नाथ के परिवार में कुल आठ लोग हैं। जगन्नाथ पर आरोप जीतराम ने लगाया था।

बता दें कि जगन्नाथ साल 1991 में घूस लेने के आरोप में पकड़े गए थे। जांच एजेंसी एसीबी-सीबीआई की टीम ने उन्हें घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। ट्रायल कोर्ट ने जगन्नाथ को फरवरी 2002 में इस मामले में दोषी ठहराया था।

जीतराम ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि जगन्नाथ ने गाय को छोड़ने के लिए घूस मांग रहा है। जीतराम मुंशी के तौर पर इसी विभाग में काम करते थे। जांच एजेंसी के मुताबिक एसीबी-सीबीआई की टीम ने जगन्नाथ के पास से घूस के पैसे बरामद किए थे।

घूस का आरोप लगने के बाद जगन्नाथ को तीन साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। साथ ही सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने उन्हें एक साल जेल और जुर्माना लगाया था। कोर्ट के फैसले के बाद जगन्नाथ ने साल 2002 में दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटया।

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जगन्नाथ को संदेह का लाभ मिला और उन्हें बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पैसे बरामद को लेकर बताया कि मामला काफी पेचीदा है।

कोर्ट से बरी होने के बाद जगन्नाथ ने कहा, “मैं काफी खुश हूं कि 28 साल की लंबी लड़ाई के बाद हमें जीत मिली है। मुझे अब जाकर न्याय मिला है। मुझे फंसाया गया और अब मुझे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।”

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