सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर को लेन-देन की पूरी डिटेल सौंपने के दिए आदेश, धोनी के लिए खुशखबरी

नई दिल्ली (एजेंसी)। पूर्व भारतीय कप्तान और अनुभवी क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर को आदेश देते हुए कहा है कि क्रिकेटर के साथ हुए सभी लेन-देन के बारे में गुरुवार तक खुलासा करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश मंगलवार को दिया। सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक वह 2009-2016 के बीच अपने ब्रांड एंबेसडर के रूप में धोनी ने समूह के साथ जो काम किया और समूह के विभिन्न कंपनियों द्वारा उन्हें जो भुगतान किया गया उसकी डिटेल रिपोर्ट दाखिल करें।

बता दें कि दो दिन पहले धोनी आम्रपाली बिल्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। पिछले एक माह के भीतर उन्होंने दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पिछली बार अपनी ब्रैंडिंग और मार्केटिंग के एवज में 40 करोड़ रुपये की बकाया राशि मांगने वाले धोनी इस बार पेंटहाउस न दिए जाने और कंपनी द्वारा उनका नाम देनदारों की सूची में शामिल करने को लेकर कोर्ट पहुंचे हैं।

जानें पूरा मामला:- 2009 में धोनी ने आम्रपाली ग्रुप से कई समझौते किए और कंपनी के ब्रैंड एम्बेसडर बने। वह इस समूह के साथ छह साल तक जुड़े रहे, लेकिन साल 2016 में जब कंपनी पर खरीददारों को ठगने का आरोप लगा, तब उन्होंने आम्रपाली ग्रुप से खुद को अलग कर लिया।

महेंद्र सिंह धोनी ने 58,000 स्कवायर फीट में बने पेंटहाउस का कब्जा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह कदम उन्होंने तब उठाया है जब उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्तफोरेंसिक ऑडिटर्स ने उन्हें उन लाभार्थियों में से एक माना है जिसे कि सवा करोड़ का पेंटहाउस केवल 20 लाख रुपये में मिला है।

आवंटन रद्द होने के डर से क्रिकेटर ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है और वह इस संपत्ति का कब्जा चाहते हैं। क्रिकेटर ने नोएडा के सेक्टर 45 में स्थित फाइव बीएचके और फैमिली लाउंज वाले पेंटहाउस को केवल 20 लाख रुपये में उस समय खरीदा था जब उसका बाजार मूल्य सवा करोड़ रुपये था।

जब ऑडिटर्स रवि भाटिया और पवन कुमार अग्रवाल ने पाया कि धोनी उन 655 खरीददारों में से एक है जिन्होंने आम्रपाली से औनेपौने दाम में फ्लैट खरीदा है तो उनसे समूह के साथ वित्तीय लेनदेन पर स्पष्टीकरण मांगा गया। क्रिकेटर ने ऑडिटर्स को बताया है कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य को आम्रपाली समूह से किसी तरह का फंड मिला है।

धोनी ने दलील दी है कि फ्लैट की कीमत को इस तरह से देखा जाए कि आम्रपाली उन्हें करोड़ों रुपये का भुगतान करने में नाकाम रही है। उन्हें फ्लैट की कीमत में छूट इसलिए मिली क्योंकि वह समूह के ब्रांड एंबेसडर रहे हैं।

ऑडिटर्स ने अदालत में दी रिपोर्ट में कहा है कि कुछ मामलों में फ्लैट एक रुपये प्रति स्कवायर फीट के हिसाब से बेचे गए थे। जबकि आम्रपाली समूह की विभिन्न आवास परियोजनाओं में करोड़ों की अघोषित धनराशि का निवेश किया गया था।

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