शाहीन बाग : पहले दिन नहीं निकला हल, कल फिर बात करेंगे मध्यस्थ

नई दिल्ली (एजेंसी). शाहीन बाग (Shaheen Bagh) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा मध्यस्थता के लिए नियुक्त किये गए वार्ताकार पैनल के दो सदस्यों, संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने बुधवार को दिल्ली स्थित शाहीन बाग़ में प्रदर्शनकारियों से बातचीत की. बातचीत करके निकलते समय संजय हेगड़े ने कहा कि ‘वे प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए गुरुवार को दोबारा शाहीन बाग़ लौटेंगे.’

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दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाक़े में बीते 65 से अधिक दिनों से लोग नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं सरकार भी कह चुकी है कि वो प्रदर्शन के दबाव में आकर अपने निर्णय से पीछे नहीं हटेगी. फ़िलहाल दिल्ली से नोएडा को जोड़ने वाली सड़क को खाली कराने के लिए दायर की गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है और कोर्ट के आदेश पर ही दोनों वार्ताकार शाहीन बाग़ में प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर कोई हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

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दोनों वार्ताकारों ने बुधवार को यह स्पष्ट किया कि ‘उनके पास कुछ ही दिन का समय है. वे इस मामले में कोई फ़ैसला सुनाने शाहीन बाग़ नहीं पहुंचे, बल्कि बातचीत के ज़रिये चीज़ों को सामान्य करने का प्रयास कर रहे हैं.’इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और मध्यस्थता विशेषज्ञ साधना रामचंद्रन ने बातचीत शुरू करने से पहले मीडिया को प्रदर्शनस्थल से चले जाने की अपील की थी. उनका कहना था कि ‘वे प्रदर्शनकारियों को सुनने-समझने आये हैं और मीडिया की मौजूदगी में खुलकर बात नहीं हो सकती.’ हालांकि दोनों ही वार्ताकारों ने यह भरोसा दिलाया था कि ‘वे मीडिया को बाद में पूरी बातचीत का सार ज़रूर बतायेंगे.’

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संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनस्थल पर मौजूद लोगों को कोर्ट का फ़ैसला पढ़कर सुनाया था. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को यह भी बताया था कि ‘पूर्व IAS और देश के पहले अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बहस करने के इच्छुक हैं और वे आप लोगों की आवाज़ उठाना चाहते हैं’.

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दोनों वार्ताकारों के लौटने के बाद वजाहत हबीबुल्लाह भी प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए शाहीन बाग़ पहुँचें. वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के कहने पर यहाँ आया हूँ. मुझसे कहा गया है कि आप एक वकील के तौर पर नहीं, बल्कि प्रदर्शनकारियों के हमदर्द के तौर पर शाहीन बाग़ जाएं, उन्हें समझें और वकीलों को प्रदर्शनकारियों के मन की बात समझाने का काम करें. आप लोग मुझसे बात करने को तैयार हैं, मुझ पर भरोसा कर रहे हैं, तो इसने मेरा काम काफ़ी आसान कर दिया है.”

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इस प्रदर्शन की वजह से एक सड़क फ़िलहाल बंद है और स्थानीय लोगों समेत यहाँ से गुज़रने वालों को आवाजाही में परेशानी हो रही है. इसी के मद्देनज़र साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनस्थल पर मौजूद लोगों से कहा कि ‘जिस तरह आप लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, उसी तरह यहाँ के अन्य लोगों को भी अपने काम पर जाने, यहाँ से आने-जाने का अधिकार है. इसलिए हमें सोचना होगा कि अपने अधिकारों के लिए हम किसी के अधिकारों को दरकिनार ना करें’.

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