नई दिल्ली (एजेंसी)। संघीय अपील अदालत ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ट्विटर पर आलोचकों को ब्लॉक करके संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ट्रंप वैचारिक भेदभाव कर रहे हैं और इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है। तीन न्यायाधीशों की समिति ने एक संघीय न्यायाधीश के पिछले साल के उस फैसले पर सहमति जताई जिसमें कहा गया था कि ट्रंप, विरोधी नजरिया रखने वाले लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करके वैचारिक भेदभाव कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप एक सरकारी पद पर हैं और वे ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में वे अमेरिकी लोगों को ब्लॉक करके अपने पोस्ट पढ़ने से रोक नहीं सकते।
वहीं अमेरिका न्याय विभाग ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है लेकिन यह नहीं कहा है कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अपील किया जाएगा या नहीं। न्याय विभाग के प्रवक्ता केली लाको ने कहा, ‘हम अदालत के फैसले से निराश हैं और आगे की तैयारी कर रहे हैं। जैसा कि हमने पहले ही तर्क दिया है राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा अपने व्यक्तिगत ट्विटर अकाउंट से उपयोगकर्ताओं को ब्लॉक करने का निर्णय संविधान और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन नहीं करता है।’
बता दें कि ट्रंप ने जिन लोगों को ट्विटर पर ब्लॉक किया है उनका प्रतिनिधित्व कोलंबिया विश्वविद्यालय में नाइट फर्स्ट अमेंडमेंट इंस्टीट्यूट के निदेशक जमील जाफर कर रहे हैं और जाफर ने ही कोर्ट में याचिका दाखिल किया था जिसपर सुनवाई हुई है। जाफर ने कहा है कि सरकारी नीति पर चर्चा करने के लिए सार्वजनिक अधिकारियों के सोशल-मीडिया अकाउंट्स जनता के लिए काफी मायने रखते हैं।