नई दिल्ली (एजेंसी)। ग्रास कोर्ट के बादशाह रोजर फेडरर क्ले किंग राफेल नडाल पर भारी पड़े। नडाल ने पिछले महीने फ्रेंच ओपन के सेमीफाइनल में 20 बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन को मात दी थी तो ऑल इंग्लैंड में फेडरर ने अंतिम चार में स्पेनिश स्टार का सफर थम दिया। यह दोनों दिग्गज खिलाड़ी 11 साल बाद विंबलडन में आमने-सामने हुए थे। आठ बार के चैंपियन फेडरर ने चार सेट तक चले मुकाबले में दो बार के विजेता नडाल को 7-6, 1-6, 6-3, 6-4 से मात देकर 12वीं बार विंबलडन के फाइनल का टिकट कटाया।
अब नौवें खिताब के लिए फेडरर रविवार को चार साल बाद एक बार फिर चार बार के चैंपियन नोवाक जोकोविच से पार पाना होगा। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी जोकोविच ने स्पेन के रॉबर्टो बातिस्ता को दो घंटे 48 मिनट तक चले मुकाबले में 6-2, 4-6, 6-3, 6-2 से शिकस्त देकर छठी बार ऑल इंग्लैंड, जबकि कुल 25वीं बार किसी ग्रैंड स्लैम के फाइनल में प्रवेश किया। मुकाबले में दौरान जोकोविच और बातिस्ता में 45 स्ट्रोक की बेस लाइन रैली चली। जोकोविच की यह विंबलडन में 81 मैचों में 71वीं जीत है।
दोनों खिलाड़ी 2015 के बाद पहली बार जबकि कुल चौथी बार विंबलडन में भिड़ेंगे। इससे पहले 2015 और 2014 के फाइनल में जोकोविच जीते थे तो 2012 के सेमीफाइनल में फेडरर जीते थे।
फेडरर पिछले पांच वर्षों से 32 वर्षीय सर्बियाई खिलाड़ी जोकोविच से जीत नहीं पाए हैं। फेडरर ने आखिरी बार 2015 एटीपी फाइनल्स में जोकोविच को हराया था। इसके बाद खेले गए तीनों मुकाबले जोकोविच ने जीते हैं।
स्विस स्टार फेडरर ने दो साल बाद नडाल को मात दी। इससे पहले उन्होंने 2017 में शंघाई ओपन में हराया था। हालांकि इसके बाद इन दोनों का यह तीसरा मुकाबला था। यह फेडरर की नडाल पर 40 मैचों में 16वीं जीत है। नडाल ने 24 जीते हैं। विंबलडन में यह फेडरर की चार मैचों में नडाल पर तीसरी जीत है। नडाल ने 2008 में फेडरर को हराकर पहली बार विंबलडन की ट्रॉफी जीती थी।
फेडरर अगर जोकोविच को हराकर ट्रॉफी जीत लेते हैं तो यह उनका यहां नौवां खिताब होगा। वह सर्वाधिक नौ बार यह ट्रॉफी जीतने वाली महिला खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। यह उनके करिअर का 21वां खिताब होगा। उन्होंने 2018 ऑस्ट्रेलियन ओपन के बाद से कोई ग्रैंड स्लैम खिताब नहीं जीता है।
37 साल 240 दिन के फेडरर पिछले 45 वर्षों में विंबलडन के फाइनल में पहुंचने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं। उनसे पहले 1974 में ऑस्ट्रेलिया के केन रोसवाल 40 साल की उम्र में खिताबी मुकाबले में पहुंचे थे।