लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूरों की जान गई ? संसद में सरकार ने कहा- पता नहीं

नई दिल्ली(एजेंसी): आज से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो गया है. विपक्ष सरकार से लिखित में लगातार सवाल पूछे जा रहा है. एक सांसद ने सरकार से सवाल किया कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए 25 मार्च से देशभर में लागू किए गए 68 दिनों के लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई? इस सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने जवाब दिया कि इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. चूंकि इस तरह का डेटा नहीं जुटाया गया था.

इसके अलावा सवाल पूछा गया कि क्या सरकार ने सभी राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में राशन दिया है, अगर हां तो उसकी जानकारी दें. इसपर मंत्रालय की ओर से राज्यवार आंकड़ा उपलब्ध ना होने की बात कही गई. लेकिन 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अतिरिक्त चावल या गेहूं, एक किलो दाल नवंबर 2020 तक देने की बात कही गई है.

लोकसभा के इतिहास में पहली बार, मानसून सत्र के साथ सोमवार को शुरू हुई लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने वाले सांसदों को अपनी सीटों पर बैठकर बोलने की अनुमति दी गई. पहली बार लोकसभा के सदस्यों ने राज्यसभा में बैठकर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया. कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए इस पहल को अमल में लाया गया.

सांसदों को अपनी सीट पर बैठकर बोलने की अनुमति देते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा, “इस मानसून सत्र में सभी सासंद पहले अपनी सीटों पर बिना खड़े हुए बोलेंगे. ऐसा कोविड -19 महामारी को देखते हुए किया जा रहा है.” इससे पहले, सभी सांसद संसद में बोलने से पहले खड़े होते थे. यह आसन के प्रति सम्मान दर्शाने का प्रतीक है.

प्रधानमंत्री मोदी ने नीले रंग का थ्री प्लाई मॉस्क पहन रखा था तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान मधुबनी मास्क पहने नजर आए. तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और कुछ सदस्य फेस शील्ड पहनकर सदन में पहुंचे. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सफेद रंग का मास्क पहनकर अपने आसन पर पहुंचे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सफेद रंग का मास्क पहन रखा था.

सदन में सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर सीट के आगे प्लास्टिक शील्ड कवर लगाया गया. सदन में बैठने की बदली हुई व्यवस्था के बीच कई सदस्यों को उनके स्थान तक पहुंचने में लोकसभा कर्मी मदद करते भी दिखे. लोकसभा चैम्बर में करीब 200 सदस्य मौजूद थे तो लगभग 50 सदस्य गैलेरियों में थे.

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