राहुल गांधी ने अमेरिका के डिप्लोमेट निकोलस बर्न्स से की बातचीत, कोरोना सहित कई मुद्दों पर हुई चर्चा

नई दिल्ली(एजेंसी): कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका के डिप्लोमेट और शिक्षाविद निकोलस बर्न्स से बातचीत की है. आज इस बातचीत का वीडियो जारी किया गया है. 11 जून को राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, “कल, शुक्रवार, 12 जून, सुबह 10 बजे से, मेरे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एंबेसडर निकोलस बर्न्‍स के साथ मेरी इस चर्चा में शामिल हों कि कैसे कोविड संकट विश्व व्यवस्था को नया आकार दे रहा है.”

बर्न्‍स नाटो के पूर्व राजदूत, राजनीतिक मामलों के अंडर सेक्रेटरी और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता रह चुके हैं.

इससे पहले, राहुल गांधी ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी, महामारी विज्ञानी जोहान गीसेके और भारतीय उद्योगपति राजीव बजाज के साथ बातचीत की थी.

कांग्रेस द्वारा एक टीजर वीडियो जारी किया गया था. जिसमें राहुल गांधी कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, “अमेरिकी इतिहास को देखते हुए किसी को भी इससे क्षेत्रीय विचार की नहीं बल्कि वैश्विक विचार की उम्मीद होती है.”

इस पर बर्न्‍स जवाब देते हैं, “यह अपने आप में एक बड़ा विचार है. हम चीन के साथ संघर्ष की तैयारी में नहीं हैं बल्कि चीन के साथ विचारों की लड़ाई लड़ रहे हैं.”

राहुल गांधी ने कहा, ”मुझे लगता है कि विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है।.लेकिन विभाजन करने वाले लोग इसे देश की ताकत के रूप में दिखाते हैं.जब अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों, मैक्सिकन और अन्य लोगों को बांटते हैं और इसी तरह से भारत में हिन्दूुओं, मुस्लिमों और सिखों को बांटते हैं तो आप देश की नींव को कमजोर कर रहे होते हैं. लेकिन फिर देश की नींव को कमजोर करने वाले यही लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं.

निकोलस बर्न्स ने कहा कि कई मायनों में भारत और अमेरिका एक जैसे हैं. हम दोनों ब्रिटिश उपनिवेश के शिकार हुए, हम दोनों ने अलग-अलग शताब्दियों में, उस साम्राज्य से खुद को मुक्त कर लिया. इसका जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा, ”मुझे लगता है कि हम एक जैसे इसलिए हैं, क्योंकि हम सहिष्णु हैं. हम बहुत सहिष्णु राष्ट्र हैं. हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है. हम नए विचारों को स्वीकार करने वाले हैं.”

राहुल गांधी ने कहा, ”हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है. यह काफी दुःखद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था. ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही.”

निकोलस बर्न्स ने कहा कि स्वयं ही खुद को सही करने का भाव हमारे डीएनए में है. लोकतंत्र के रूप में, हम इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में मतपेटी के जरिए हल करते हैं. हम हिंसा की ओर नहीं मुड़ते. वह भारतीय परंपरा ही है, जिसके कारण हम आपकी स्थापना के समय से ही भारत से प्यार करते हैं. 1930 के दशक के विरोध आंदोलन, नमक सत्याग्रह से 1947-48 तक.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी कोविड-19 संकट के असर एवं इससे निपटने के तरीकों को लेकर अलग अलग क्षेत्रों की हस्तियों के साथ संवाद कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने उद्योगपति राजीव बजाज से बातचीत की थी जिसमें बजाज ने लॉकडाउन को कठोर करार देते हुए कहा था कि इससे कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से तो नहीं रुक पाया, लेकिन देश की जीडीपी औंधे मुंह गिर गई.

राहुल गांधी विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों से चर्चा कर चुके हैं. इस श्रृंखला में जन स्वास्थ्य पेशेवर आशीष झा और स्वीडिश महामारी विशेषज्ञ जोहान गिसेक, प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से भी बातचीत कर चुके हैं.

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