रायपुर (अविरल समाचार). चुनाव आयोग क्या होता हैं ? कितनी शक्ति होती हैं मुख्य चुनाव आयुक्त के पास ? यदि ये प्रश्न देश के मुख्य चुनाव आयक्त रहें टी. एन. शेषन के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के पहले किये जाते थे तो लोग उपहास उड़ाते थे. क्योंकि उसके पहले चुनाव आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं करते थे. प्रत्याशी यदि सत्ताधारी दल का है तो उसे पूर्ण आजादी होती थी. जाहिर हैं की जब पक्ष के प्रत्याशी को आजादी होती थी तो विपक्ष से भी सक्षम प्रत्यशी होने पर चुनाव का रंग ही अलग हो जाता था.
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शोर-गुल, बैनर, पोस्टर वार के साथ-साथ दिवाले अलग खराब कुल मिलाकर धन बल और बाहुबल का खुलकर प्रयोग होता था. जिसमे जितना दम उसकी उतनी धमक होती थी और जनता होती थी इन सब से परेशान. कुछ इस प्रकार का नजारा होता था शेषन के चुनाव आयुक्त बनने के पहले.
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रायपुर (Raipur) में हो रहे नगर निगम चुनाव में यदि कमोबेश इसी प्रकार का माहौल आप देखना चाहते हैं तो आप चले जाइये रायपुर के इंदिरा गांधी वार्ड क्रमांक 27 में हर गली में तोरण, रोड क्रॉस करके बैनर, पोल में झंडे, दिनभर रैलियां, शोर-गुल लगभग सभी कुछ हो रहा हैं इस वार्ड में. खासियत ये की कोई भी शिकायत नहीं कर रहा हैं. जो पहले ने किया वो दूसरा भी कर रहा हैं. दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी एक दुसरे की विडियो रिकॉर्डिंग भी करवा रहें है.
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मुकाबला भी रोचक हैं. दो बड़ें ठेकेदार जो हैं मैदान में, भाजपा से सुभाष अग्रवाल और कांग्रेस से सुरेश चन्नावार. सुभाष अग्रवाल बृजमोहन अग्रवाल के समर्थक हैं. इनकी पत्नि पूर्व में इस क्षेत्र से पार्षद रह चुकी हैं. सुरेश चन्नावार भी बड़े ठेकेदार हैं कांग्रेस में सत्यनारायण शर्मा और कुलदीप जुनेजा के समर्थक माने जाते हैं. वार्ड के भाजपा नेताओं से चन्नावार के बहुत करीबी संबंध हैं और वहां के बड़ें संघ का भी समर्थन इनके पक्ष में बताया जा रहा हैं. अग्रवाल भी क्षेत्र की राजनीति में पुराने हैं और गुणा-भाग करने में भी माहिर माने जाते हैं.
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कुल मिलकर दोनों में कांटे की टक्कर हो रही हैं. जनता का समर्थन किस को मिलेगा यह कह पाना मुश्किल हैं. हालाकि अभी चुनावी रंग चढ़ना चालू हुआ हैं आने वाले समय में परिस्थितियां बदल भी सकती हैं.
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