मेरठ (एजेंसी)। मेरठ में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में भले ही मरीज एक्सरे कराने के लिए भटकते रहते हों, लेकिन वहां एक मुर्दे के 10 एक्सरे कराने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। इस मामले में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने केजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ), जूनियर चिकित्सकों और स्टाफ समेत 11 लोगों से जवाब तलब किया है। इस मामले में इनमें से कई पर गाज गिर सकती है।
गुरुवार 20 जून 2019 को मेडिकल थाना क्षेत्र के जागृति विहार सेक्टर-7 में एक व्यक्ति ने तेज रफ्तार कार से कई वाहनों में टक्कर मार दी थी। इस हादसे में एक रिक्शा चालक घायल हो गया था, जिसकी बाद में मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इसी रिक्शा चालक के शव के एक्सरे किए गए हैं। मृतक रिक्शा चालक की पहचान अख्तर निवासी फतेहउल्लापुर के रूप में हुई थी। मृत्यु के बाद एक्सरे कराने की सूचना से इमरजेंसी में हड़कंप मच गया। एक टेक्निशियन ने 10 एक्सरे कराने की सूचना रेडियोलॉजी विभाग के प्रभारी डॉ. सुभाष को दी थी। डॉ. सुभाष ने प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता को इससे अवगत कराया।
वहीं प्राचार्य ने इसे गंभीरता से लिया। उन्होंने एक ईएमओ, आर्थोपेडिक विभाग से जुड़े जेआर-1 से लेकर जेआर-3 तक पांच लोग और सर्जरी विभाग के पांच लोगों से लिखित में जवाब तलब किया है। तीन दिन तक तो मामला दबा रहा, लेकिन जवाब तलब किए जाने से मेडिकल में चर्चा फैल गई तो मामला बाहर निकल आया। इसके बाद प्रकरण में मंगलवार को दो जूनियर डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि ईएमओ, सीनियर और जूनियर चिकित्सकों समेत नौ पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। इनकी भूमिका की जांच की जा रही है। अभी स्टाफ और कई चिकित्सकों ने स्पष्टीकरण दाखिल नहीं किया है। उनका जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ससपेंड हुए डॉक्टर में निकुंज सर्जरी विभाग से हैं और सुप्रियो हड्डी विभाग से। इन्होंने अपने सीनियर सलाहकार चिकित्सक से परामर्श नहीं किया और खुद ही एक्सरे करने का निर्णय लिया। जिस पर्चे के आधार पर मृतक के एक्सरे कराए गए, उस पर कंसल्टेंट चिकित्सक का नाम तक नहीं लिखा था।