म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं? कभी न करें ये 6 गलतियां

नई दिल्ली(एजेंसी): म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिये निवेश काफी पॉपुलर हो रहा है. छोटे निवेशक, जो शेयर बाजार की पेचीदगियों से नावाकिफ हैं और इसके जोखिम से बचना चाहते हैं वे म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिये निवेश करते हैं. हालांकि इस चक्कर में नए निवेशक कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे उनका निवेश डूब जाता है या उन्हें भारी घाटा होता है. अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो इन 6 गलतियों से जरूर बचें.

जब शेयर बाजार में तेज बढ़त देखी जाती है, तो कई निवेशक इसका तुरत-फुरत फायदा उठाने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू कर देते हैं. लेकिन बाजार काफी वोलेटाइल होता है. यह जितनी तेजी से ऊपर चढ़ता है उतनी ही तेजी से नीचे आता है. म्यूचुअल फंड के जरिये अच्छा रिटर्न हासिल करने कि लिए अनुशासित और लगातार निवेश जरूरी है. इसलिए सिस्टमैटिक निवेश योजना एसआईपी का सहारा लिया जाता है. इसके जरिये आप एक निश्चित अंतराल में थोड़ी-थोड़ी रकम किसी फंड में डालते हैं. यह आपके बाजार को जोखिम से बचाता है.

पिछले तीन के साल के दौरान मिड और स्मॉल कैप फंड्स ने क्रमश: 23 और 17 फीसदी एनुअल रिटर्न दिया है. इसे देख कर ऐसे फंड्स में निवेशकों का निवेश बढ़ने लगा है. लेकिन यह एक दांव लगाने जैसा है. मिड और स्मॉल कैप फंड्स अगर ज्यादा रिटर्न देते हैं तो बाजार की खराब हालत में ये सबसे अधिक प्रभावित भी होते हैं. इसलिए मल्टी कैप और लार्ज कैप फंड की तुलना में इसमें ज्यादा निवेश न करें. कई फंड हाउस ने जोखिम से बचने के लिए मिड और स्मॉल कैप शेयरों में निवेश कम करना शुरू कर दिया है.

म्यूचुअल फंड के जरिये शेयर में निवेश से अच्छा रिटर्न की उम्मीद जल्दी न करें. हो सकता है किसी साल आपको अच्छा रिटर्न मिले और किसी साल बैंक फिक्स्ड डिपोजिट से भी कम. ऐसे में आप अपना निवेश न रोकें. दरअसल म्यूचुअल फंड के जरिये शेयरों में निवेश से अच्छे रिटर्न के लिए 5 से 7 साल के लंबे टाइम पीरियड की जरूरत होती है. इसलिए अपने इन्वेस्टमेंट को टाइम देना जरूरी है. देखा गया है कि लंबे समय तक शेयरों में निवेश अच्छा रिटर्न देता रहा है. इसलिए खराब रिटर्न पर अपना पैसा तुरंत न निकालें.

कई म्यूचुअल फंड निवेशकों को लगता है कि फंड की हाई एनएवी (Net Asset Value) हाई रिटर्न की गारंटी है. लेकिन हाई एनएवी हाई रिटर्न की गारंटी नहीं है. कई हाई एनएवी वाली म्यूचुअल फंड स्कीमों का रिटर्न हाई नहीं होता. निवेश से पहले फंड का पिछला परफॉरमेंस जरूर देखें और देखें कि स्कीम बेंचमार्क इंडेक्स क्या है. अच्छा होगा कि किसी विशेषज्ञ वित्तीय सलाहकार से सलाह लें.

दरअसल कई बार, बाजार गिरने की वजह से म्यूचुअल फंड के जरिये शेयर में निवेश करने वाले एसआईपी रोक देते हैं. या अपना पैसा लेकर निकल लेते हैं. लेकिन याद रखिये गिरते बाजार के साथ शेयर भी सस्ते होते हैं और आपको कम पैसे में ज्यादा यूनिट मिलते हैं. फिर जब बाजार चढ़ता है तो आपकी यूनिटों की कीमत बढ़ जाती हैं. इसलिए एसआईपी बीच में रोकना आपके लिए घाटे का सौदा साबित होता है.

कई बार बैलेंस्ड फंडस् डिविडेंड का ऑफर देकर बेचे जाते हैं. कई फंड तो अब तीन और कई तो हर महीने डिवडेंड देते हैं. चूंकि यह डिविडेंड टैक्स फ्री होता है, इसलिए भी कई फंड हाउस इसकी आक्रामक मार्केटिंग करते हैं. लेकिन यह फंड की ओर जमा किए गए पिछले सालों के सरप्लस से ही आपको मिलता है. आगे शेयर बाजार का क्या हाल होगा और इन फंड्स के पास सरप्लस होगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं होती. इसलिए रेगुलर इनकम की चाह वाले निवेशकों को तब निराशा हाथ लगती है, जब फंड की ओर से डिविडेंड मिलना अनियमित हो जाता है या बंद हो जाता है.

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