नई दिल्ली(एजेंसी): म्यूचुअल फंड में निवेश के जरिये अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है. इसमें निवेश आसान होता है. लेकिन म्यूचुअल फंड का चुनाव उतना आसान नहीं होता है, जितना आप समझते हैं. इसके लिए इक्विटी और डेट मार्केट, दोनों के बारे में आपकी जानकारी अच्छी होनी चाहिए . लिहाजा म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले एक आम निवेशक के लिए भी जरूरी होता है कि वह म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट को अच्छी तरह समझें और इसके लिए उपलब्ध रिसोर्स और ऑनलाइन कंटेंट का इस्तेमाल करे.
सबसे पहले तो यह जरूरी है कि म्यूचुअल फंड चुनने के वक्त सिर्फ एक, तीन या पांच साल के रिटर्न पर ध्यान न दें और न ही सिर्फ उस फंड को चुनें जो सबसे ज्यादा रिटर्न दे रहा हो. याद रखें कि रिटर्न हर दिन के हिसाब से बदल सकता है और आज जो फंड टॉप पर है वो कल वहां न रहे. अगर आप इक्विटी फंड में निवेश कर रहे हैं तो यह जरूर देखें को उसने अलग-अलग मार्केट साइकिल में कैसा रिटर्न दिया. अच्छा रिटर्न उसे माना जाएगा जब इसने इंडेक्स से अच्छा रिटर्न दिया हो या अपने साथ के फंडों से अच्छा परफॉर्म किया हो. जरूरी नहीं कि आपने जो फंड चुना हो वह हमेशा चार्ट में ऊपर में ही रहे.
दूसरी अहम बात यह है कि देखें कि यह रिटर्न कहां से आ रहा है. कहने का मतलब है कि अपने फंड की स्ट्रेटजी पर ध्यान दें. यह देखें कि अच्छा रिटर्न हासिल करने में यह कितना कारगर रहेगी. इससे आपकी खुद म्यूचुअल फंड की स्ट्रेटजी समझ में आएगी. आप यह भी जान पाएंगे कि यह आपके रिस्क लेवल पर कहां फिट बैठता है. आपके निवेश के टाइम फ्रेम के हिसाब से भी यह कहां फिट बैठता है. इसके हिसाब से आप अपना मिलाजुला पोर्टफोलियो बना सकते हैं और अपने जोखिम को कम कर सकते हैं.
जब आप डेट फंड में निवेश कर रहे हों यह देखना चाहिए कि इसका एक्सपोजर AA+ से नीचे के पेपर में तो नहीं है. इसके नीचे के कॉमर्शियल पेपर या बॉन्ड में निवेश के लिए आपके फंड के लिए जोखिम भरा हो सकता है. ऐसे फंड से बचें जिनकी मौजूदगी हाई क्रेडिट रिस्क वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में हों. हमेशा हाई क्रेडिट रिस्क वाली स्कीमों से बचें चाहे चाहे आपका टाइम फ्रेम और जोखिम लेने की क्षमता कितनी भी क्यों न हो. म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपने निवेश का टाइम फ्रेम कम से कम फंड के एवरेज पोर्टफोलियो मैच्योरिटी के समान ही रखें. इससे भी ज्यादा अवधि तक निवेश बनाए रखा जा सकता है.