नई दिल्ली (एजेंसी)। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के 6 छात्रों को कई कारणों से निकाल दिया गया। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखना और कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करना बताया जा रहा है।
हाल ही में पीएम मोदी को लिंचिंग पर एक खुला पत्र लिखने के लिए देश भर के 50 बुद्धिजीवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का मामला सामने आया था। इस घटना के कुछ ही दिनों के बाद एमजीएवी वर्धा के छह छात्रों को पीएम को पत्र लिखने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करने के कारण निष्कासित कर दिया गया है। इसके पीछे बहुजन समाजवादी पार्टी के संस्थापक व दलित नेता कांशीराम की पुण्यतिथि के आयोजन को भी वजह बताया जा रहा है।
निष्कासित किए गए छात्र नेताओं में चन्दन सरोज, रजनीश कुमार अंबेडकर, वैभव पिम्पलकर, राजेश सारथी, नीरज कुमार एवं पंकज बेला के नाम शामिल हैं। बता दें कि निष्कासित किए जाने वाले सभी छात्र एससी व ओबीसी केटेगरी के ही हैं। यहां सबसे अलग बात ये है कि निष्कासित 6 छात्रों में से एक छात्र ऐसा भी है जो वर्तमान में विश्वविद्यालय का छात्र तक नहीं है।
निष्कासित छात्र रजनीश कुमार अंबेडकर ने बताया कि कैंपस में विश्वविद्यालय प्रशासन की रोक के बावजूद कांशीराम का परिनिर्वाण दिवस मनाया गया, साथ ही पीएम मोदी को खत लिखा था। छात्रों ने दलित-अल्पसंख्यकों के साथ मॉब लिंचिंग, बढ़ती यौन हिंसा व बलात्कार और कश्मीर को दो माह से कैद किए जाने जैसे विषयों पर जवाब मांगा था।
इसके अलावा रेलवे-BPCL-एयरपोर्ट आदि के निजीकरण, NRC के नाम पर मुस्लिमों को टारगेट किए जाने व देशभर में आदिवासी-दलित नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं-लेखकों-बुद्धिजीवियों के दमन व उनपर राजद्रोह के मुकदमे दर्ज किए जाने को लेकर भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर जवाब मांगा था। इसी कारण से चुनाव आचार संहिता का बहाना बनाकर छह बहुजन छात्र नेताओं को निष्कासित किया गया है।
निष्कासित बहुजन छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय के कुलपति पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है। दलित-बहुजन व लोकतंत्र पसंद-न्याय पसंद छात्र-छात्राओं को अपने नायकों तक को श्रद्धांजलि देने पर निष्कासित किया जा रहा है।