बुलंदशहर (एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के नयाबांस के मुसलमानों का कहना है कि अब इस गांव में हिन्दू-मुस्लिम आपस में बात नहीं करते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बुलंदशहर के इस गांव में रहने वाले मुसलमानों का कहना है कि पहले ऐसा नहीं था और मुस्लिमों के बच्चे भी हिन्दू बच्चों के साथ खेला करते थे। अब कई मुस्लिम आतंकित हैं और उनका कहना है कि बीते 2 सालों में दोनों समुदाय के बीच ध्रुवीकरण इतना बढ़ गया है कि कई यहां से निकलने की सोच रहे हैं।
न्यूज एजेंसी से बातचीत में कई मुसलमानों ने कहा कि अगर बीजेपी दूसरी बार जीतती है और नरेंद्र मोदी की सरकार आती है तो उन्हें लगता है कि तनाव और बढ़ेगा। छोटी सी दुकान चलाने वाले गुलफाम अली ने कहा कि पहले चीजें काफी अच्छी थीं। मुस्लिम-हिन्दू अच्छे और बुरे वक्त में साथ रहा करते थे। लेकिन मोदी और योगी ने सब गड़बड़ कर दिया है। हम इस जगह को छोड़ना चाहते हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं कर सकते। अली बताते हैं कि करीब एक दर्जन मुस्लिम परिवार बीते 2 सालों में गांव छोड़ चुके हैं जिनमें उनके अंकल भी शामिल हैं।
हालांकि, बीजेपी हिन्दू-मुस्लिम को बांटने की नीतियों से इनकार करती है। पिछले साल के आखिर में बुलंदशहर के इसी इलाके में हिन्दुओं ने शिकायत की थी कि उन्होंने कुछ मुस्लिमों को गाय काटते देखा है। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने एक पुलिस अफसर की हत्या कर दी थी। 4000 से अधिक की आबादी वाले नयाबांस गांव में करीब 400 मुस्लिम रहते हैं। लेकिन 5 महीने पहले की हिंसा की घटना से वे आजतक नहीं उबर पाए हैं। बीजेपी के एक प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल कहते हैं कि उनकी सरकार के कार्यकाल में कोई दंगे नहीं हुए। आपराधिक घटना को हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे के रूप में देखने को भी वे गलत बताते हैं।
हालांकि, नयाबांस गांव का इतिहास विवादों से अछूता नहीं रहा है। 1977 में मस्जिद बनाने की कोशिश में दंगे भड़क उठे थे जिसमें 2 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन गांव वालों का कहना है कि इसके बाद अगले 40 सालों तक लोग सामंजस्य के साथ रहते आए थे। कुछ मुस्लिमों का कहना है कि योगी की सरकार बनने के बाद कट्टर हिन्दू अधिक अधिकार जताने लगे।
2017 के रमजान महीने में हिन्दू कार्यकर्ताओं ने मुस्लिमों से मदरसे में लाउडस्पीकर इस्तेमाल नहीं करने की मांग की थी। न चाहते हुए भी मुस्लिमों ने लाउडस्पीकर इस्तेमाल करना छोड़ दिया। 21 साल की कानून की छात्रा आयशा कहती हैं- ‘यहां हम किसी भी तरह से अपने धर्म को जाहिर नहीं कर सकते, लेकिन वे कुछ भी करने को स्वतंत्र हैं।’ वहीं, 42 साल के आस मोहम्मद कहते हैं कि मैं डरा नहीं हूं, लेकिन मोदी को दूसरा टर्म मिलने के बाद कई लोगों को काफी मुश्किल होगी।