पटना (एजेंसी)। बिहार सरकार में एक सहायक इंजीनियर ने ऐसा फर्जीवाड़ा किया कि किसी को कानों कान खबर तक नहीं लगी और इस दौरान उसने काफी पैसे भी बनाए। यह इंजीनियर न केवल एक साथ तीन-तीन पदों पर कार्य कर रहा था बल्कि संबंधित विभाग से पिछले तीन दशकों से तनख्वाह भी ले रहा था। केवल इतना ही नहीं उसे इन पदों पर समय-समय पर पदोन्नति भी मिलती रही। इस इंजिनियर का नाम सुरेश राम है जो पटना जिले के बभौल गांव का रहने वाला है। अफसोस उसकी इस धोखधड़ी को अत्याधुनिक तकनीक ने पकड़वा दिया। वृहद वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (सीएफएमएस) ने सहायक इंजिनियर के फर्जीवाड़े को पकड़ लिया और उसकी पोल खुल गई। इस तकनीक में बिहार के सभी सरकारी कर्मचारियों के आधार, जन्मतिथि और पैन के विवरण को भरना होता है। जिसके कारण उसका फर्जीवाड़ा सामने आ गया। सुरेश के साथी मधुसूदन कुमार कर्ण की शिकायत के आधार पर किशनगंज पुलिस स्टेशन में पिछले हफ्ते एफआईआर दर्ज की गई। कर्ण भवन निर्माण विभाग में एक कार्यकारी अभियंता है।
सुरेश जो कुछ ही सालों में सेवानिवृत्त होने वाले थे अब फरार हो गए हैं। किशनगंज के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने शुक्रवार को कहा कि इंजिनियर को गिरफ्तार करने के लिए उप-विभागीय पुलिस अधिकारी अखिलेश सिंह के नेतृत्व में चार सदस्यों की एक टीम बनाई गई है। एफआईआर के अनुसार सुरेश को पहली बार 20 फरवरी 1988 को पटना में राज्य सड़क निर्माण विभाग में सहायक इंजीनियर के तौर पर नियुक्त किया गया था।
इसके बाद अगले साल उन्हें जल संसाधन विभाग में नौकरी की पेशकश की गई जहां उन्होंने 28 जुलाई, 1989 को उसी शहर में कार्यभार संभाला। इसके बाद सुरेश को उसी साल जल संसाधन विभाग के तहत दूसरी नौकरी की पेशकश की गई जो सुपौल जिले के भीम नगर पूर्वी तटबंध पर थी। शिकायतकर्ता के अनुसार सुरेश को 10 अप्रैल, 2018 को सड़क निर्माण विभाग में सहायक इंजीनियर और 17 जून, 2005 को जल संसाधन विभाग में पदोन्नती दी गई।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यदि राज्य सरकार के कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए सीएफएमएस को लागू नहीं किया जाता तो सुरेश एक के बाद एक करके तीनों पदों से सेवानिवृत्त हो जाता।’ शिकायतकर्ता ने कहा, ’22 जुलाई को उपसचिव ने सुरेश को कुछ विसंगतियों का पता चलने के बाद सिंचाई विभाग में अपने सभी कागजात लाने के लिए कहा। हालांकि वह लेकर नहीं आया जिसके बाद नौ अगस्त को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।’