बिलासपुर (एजेंसी)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि मृत भवन स्वामी का विधिक वारिस किराया लेने का हकदार है, लेकिन उसे किराएदार को बलपुर्वक बेदखल करने का अधिकार नहीं है। इस आदेश के साथ ही हाईकोर्ट ने रेंट ट्रिब्यूनल का आदेश खारिज कर दिया है। देवरीडीह के रहने वाले याचिकाकर्ता नरेन्द्र श्रीवास ने पुराना पावर हाउस पेट्रोल पंप के पास स्वर्गीय वीर सिंह के स्वामित्व वाली दुकान उनकी पत्नी मिलाप बाई से 1800 प्रतिमाह किराए पर लिया था।
मिलाप बाई के निधन होने के बाद उनके विधिक वारिस जय सिंह ने याचिकाकर्ता को दुकान से बेदखल कर अपना कब्जा कर लिया। इसके खिलाफ किराएदार ने रेंट कंट्रोलर के समक्ष आवेदन पेश किया था। भाड़ा नियंत्रक ने किराएदार को दुकान का कब्जा देने का आदेश दिया, लेकिन जय सिंह ने इस आदेश के खिलाफ रेंट ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल कर दी। ट्रिब्यूनल ने भाड़ा नियंत्रक के आदेश को खारिज कर दिया और जय सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया जिसके बाद किराएदार ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी।
याचिका में कहा गया कि रेंट कंट्रोल अधिनियम की धारा 12 में मकान मालिक व किराएदार के संबंध में स्थापित किया गया है और इसके तहत मकान मालिक को किराएदार को बेदखल करने का अधिकार नहीं है। याचिका में जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू की डबल बेंच ने आदेश पारित किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मृत भवन स्वामी का विधिक वारिस भवन का मालिक होगा। वह किराया प्राप्त करने का हकदार होगा, लेकिन किराएदार को बलपूर्वक बेदखल करने का अधिकार उसे नहीं है। हाईकोर्ट ने रेंट ट्रिब्यूनल के आदेश को खारिज करते हुए भाड़ा नियंत्रक के आदेश को सही ठहराया है।