प. बंगाल : कोलकाता लौटे 138 श्रमिकों के चेहरे पर दिखा सुकून, अब कश्मीर से तौबा

कोलकाता (एजेंसी). कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों द्वारा मुर्शिदाबाद के पांच श्रमिकों की हत्या के बाद दहशत में डूबे बंगाल के 133 श्रमिक राज्य सरकार के प्रयास से सोमवार को घर लौट आए। इसके अलावा असम के भी पांच श्रमिक कोलकाता लौटे। ट्रेन से उतर कर गृह राज्य की मिट्टी पर पैर रखते ही दहशतजदा श्रमिकों के चेहरे पर सुकून दिखा।

राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने स्टेशन पहुंचकर श्रमिकों का हालचाल पूछा। श्रमिकों ने कश्मीर में दहशत के माहौल को बयां करते हुए फिर कभी वहां नहीं जाने की बात कही और कश्मीर से तौबा कर लिया। राज्य सरकार की ओर से विभिन्न जिलों के श्रमिकों को विशेष बसों से उनके घरों को भिजवाया।

ज्ञात हो कि कश्मीर के कुलगाम में गत 29 अक्टूबर की रात आतंकवादियों ने मुर्शिदाबाद जिले के सागरदीघी थाना अंतर्गत बहालनगर गांव निवासी कमरुद्दीन शेख (35), मुर्सलीम शेख (45), रफीक अहमद शेख (45), नइमुद्दीन (42) तथा रफीकुल आलम (23) को गोलियों से छलनी कर दिया था। जबकि जहीरुद्दीन शेख नामक श्रमिक गंभीर रूप से जख्मी हो गया था। घटना के बाद कश्मीर नीति को लेकर विरोधी दलों ने केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया था।

सूत्रों के अनुसार हत्याकांड की घटना के बाद से कश्मीर में मजदूरी कर रहे बंगाल के श्रमिकों आतंकित थे। उसी दिन श्रमिकों ने घर वापसी के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मदद की गुहार लगाई थी। इसके बाद से ही राज्य सरकार ने श्रमिकों की वापसी के प्रयास शुरू कर दिए थे। बीते शनिवार रात 13152 डाउन जम्मू तवी एक्सप्रेस से बंगाल के 133 और असम के 5 श्रमिकों को कोलकाता के लिए रवाना किया गया।

सोमवार शाम करीब पांच बजे जम्मूतवी एक्सप्रेस के कोलकाता स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम समेत पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी स्टेशन पर पहुंच गए। ट्रेन के पहुंचने पर एक-एक कर श्रमिकों नीचे उतारे श्रमिकों से मंत्री ने बात की और उनका हालचाल पूछा। कश्मीर में दहशत के दिन काटने के बाद घर लौटे श्रमिकों की आंखो से आंसू छलक आए। मंत्री से बातचीत के दौरान श्रमिकों ने कश्मीर में आपबीती सुनाई। कहा कि राज्य में ही छोटा-मोटा रोजगार कर लेंगे लेकिन कभी कश्मीर नहीं जाएंगे। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से विभिन्न जिलों के श्रमिकों को पुलिस सुरक्षा में विशेष बसों से उनके घरों के लिए भिजवाया गया।

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