नामी कंपनियों को लोन दिया जिन्होंने नहीं चुकाया, डूब रहा YES BANK ?

नई दिल्ली (एजेंसी). देश का चौथे नंबर का प्राइवेट बैंक यस बैंक आखिरकार जिस तरह गिरावट की ओर बढ़ा है उससे और एक ब्रैंड बैंक के अस्तित्व पर सवाल उठने लगा है. सबसे पहले यह जान लीजिए कि यस बैंक ने किन नामी ब्रैंड को लोन दिया था जो लोन नहीं चुका रहे थी. यस बैंक की ग्राहक कंपनी में आईएलएंडएफएस, दीवान हाउसिंग, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग, सीजी पॉवर, कैफ़े कॉफ़ी डे , अल्टिको जैसी नामी कंपनियो ने लोन लिया था. इन नामी कंपनियों के अलावा ऐसी बहुत सी कंपनियां है जो अब एनपीए की सूची में आ गई हैं. यह बड़े नामी ग्रुप एनपीए होने के बावजूद यस बैंक के किताब में अच्छे ग्राहक बने रहे.

क्या रही वो वजह जिससे खस्ताहाल हुआ देश का चौथा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक ?
पिछले कुछ सालों में यस बैंक की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हुई है. एक तरफ जहां बैंक की कमाई कम हो रही थी, बैंक लोन नहीं वसूल पा रहा था और इस वजह से गिरावट का दौर शुरू हो गया. इस गिरावट की वजह से निवेशक निवेश करने से कतराने लगे. निवेशक अपना डिपॉजिट भी निकालने लगे. पिछले 4 क्वार्टर की बात करें तो बैंक को लाभ की तुलना में काफी नुकसान हुआ है.

मैनेजमेंट में गलत कामकाज के तरीके
बैंक की खराब हालत की एक वजह बैंक में मैनेजमेंट को लेकर भी है . बैंक प्रबंधन जिस प्रकार के काम काज के तरीके पिछले कुछ वर्षों में अपना रहा था उसकी वजह से भी बैंक पर बुरा असर पड़ा है. वित्तीय वर्ष 2018- 19 में बैंक का NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट 3277 करोड़ रुपये था लेकिन इसकी गलत और अधूरी जानकारी आरबीआई को साझा की गई .

यस बैंक के झूठे दावे
यस बैंक की तरफ से रिजर्व बैंक को हमेशा से गलत सूचना दी गई कि बैंक मैनेजमेंट अपनी बैलेंस शीट को और मजबूत करने के लिए और बैंक में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए काम कर रहा है. यस बैंक ने आरबीआई को यह कहते हुए अंधेरे में रखा कि बहुत सारे निवेशक बैंक में निवेश कर रहे हैं और करना चाहते हैं जिसको लेकर सकारात्मक बातचीत चल रही है. लेकिन हकीकत में निवेशकों की तरफ से कोई ठोस प्रस्ताव बैंक को नहीं दिया गया था जिससे की बैंक का बैलेंस शीट सुधर सके.

गैर जरूरी निवेशक
यस बैंक उन कई प्राइवेट कंपनियों और संस्थाओं से संपर्क में था जिनसे बैंक में निवेश की बातचीत चल रही थी लेकिन आरबीआई के मुताबिक जिन निवेशकों से बातचीत चल रही थी उन्हें यस बैंक में निवेश करने में विशेष रुचि नहीं थी. यस बैंक में निवेश करने के लिए जितनी पूंजी की जरूरत थी उसके लिए आरबीआई की इजाजत की जरूरत थी.

RBI को नही दिख रहा था सुधार
आरबीआई के मुताबिक यस बैंक को अपनी बैलेंस शीट बेहतर करने और बैंक की स्थिति बेहतर करने के लिए काफी समय दिया गया. समय के साथ-साथ कई अवसर और उचित संभावनाएं बैंक मैनेजमेंट को दी गई जो काम नही आई.

खाताधारक निकाल रहे थे पैसा
बैंक को लगातार पैसों के लेनदेन के फ्लो को लेकर दिक्कत हो रही थी. इसका मतलब यह है कि बैंक से ग्राहक अपना जमा किया हुआ पैसा तो निकाल रहे थे लेकिन बैंक के पास उतने पैसे जमा नहीं हो रहे थे. अगर सितंबर 2019 महीने की बात करें तो यस बैंक के पास दो लाख 9 हजार करोड़ रुपए जमा थे जो फरवरी तक काफी कम हो गए.

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