ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे
रायपुर (अविरल समाचार). धन तेरस या धन त्रयोदशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है| शास्त्रों में वर्णित है कि देवों और असुरों के मध्य हुए समुद्र मंथन की प्रक्रिया के मध्य इसी दिन धनवंतरी अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे|शास्त्रों में यह भी अभिव्यक्त है कि चुंकि धनवंतरी कलश लेकर प्रकट हुए थे अत: इस दिन पात्र का क्रय किया जाये तो पात्र की धारणीय क्षमता से तेरह गुना धन और ऐश्वर्य प्राप्त होने के योग बनते हैं| इस दिन चाँदी और पीतल के बर्तन खरीदने से मानसिक शांति मिलती है और शरीर भी पुष्ट होता है| लक्ष्मी जी की आराधना के ठीक दो दिन पहले धनवंतरी की आराधना का महत्व इसीलिये भी ज्यादा है क्यों कि धनवंतरी देवों के चिकित्सक और देवों के उत्तम स्वास्थ्य के निरिक्षक है। लक्ष्मी जी से ऐश्वर्य की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करने से पूर्व यदि उत्तम स्वास्थ्य भी प्राप्त कर लिया जाये तो ऐश्वर्य का उपभोग भी किया जा सकेगा|
अक्षय लक्ष्मी कारक योग : इस समय क्रय करना होगा लाभदायक
सोमवार 5 नवम्बरको कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है| इस दिन प्रदोष कालेन सायंकालीन हस्त नक्षत्र होने से यह दिन अत्यंत शुभ हो गया है| शास्त्रों में वर्णित है कि आचार्य धनवंतरी चाँदी क कलश लेकर प्रकट हुए थे| अत:सूर्यास्त के समय याने सायं 5.22 बजे से लेकर अगले 2 घंटे 24 मिनट तक प्रदोष मुहुर्त में की गई प्रत्येक छोटी से छोटी या बडी से बडी खरीदी अक्षय लक्ष्मी का कारक बनेगी| प्रात:कालीन गोचर में सूर्य और शुक्र का लग्न में एक साथ होना अत्यंत भाग्य वर्द्धक योग बना रहा है| इस से किसी भी छोटी से छोटी वस्तु का क्र्य करना लाभदायक होगा
इस मन्त्र के जाप से मिलेगा उत्तम स्वास्थ्य और ऐश्वर्य
धनवंतरी को भगवान विष्णु का अंश अवतार भी बताया गया है। इसी लिये धनतेरस के दिन प्रात:काल धनवंतरी के पूजन के पूर्व यदि विष्णु सहस्रनाम का पठन या श्रवण किया जाये तो पूजन का पूर्ण फल मिलेगा। आम की लकडी के पाटे पर हल्दी से स्वास्तिक बनाये। स्वास्तिक के मध्य एक बडी पूजा सुपारी को गुलाब जल से स्वच्छ कर भगवान धनवंतरी के रूप में स्थापित कर पूजन करें। चान्दी के पात्र या किसी भी अन्य पात्र में चावल से बने खीर का भोग लगायें।तुलसी का पत्र अर्पित करें। कपूर की आरती कर इस मंत्र से रोग नाश हेतु प्रार्थना करें।
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य। गूढं निगूढं औषध्यरूपम्
धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
एक नारियल पर कुंकुम से स्वास्तिक बनाकर उसी नारियल पर चावल और पुष्प रखकर रोगनाश और प्रगति के लिये इस मंत्र का यथाशक्ति जाप करें :
मंत्र : ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।
राशी के अनुसार क्या खरीदें धनतेरस के शुभ मुहुर्त पर
मेष: अपने पति या पत्नि के लिये स्वर्ण, रजत या उपयुक्त उपहार|
वृषभ: सजावट की सामग्री, वाहन, किचन के आइट्म|
मिथुन: देव प्रतिमा, हरे रत्न जडा ब्रेसलेट|
कर्क: मोती, वस्त्र, स्वर्ण आभुषण घर या प्लॉट||
सिंह : लॉकर, अलमारी, वाहन, कम्प्युटर, रजत के आभुषण|
कन्या: गेस चुल्हा या किचन का सामान, पन्ना रत्न, घर या प्लॉट||
तुला: लाइट डेकोरेशन का सामान| लेम्प, बडे पर्दे, स्वर्ण की रिंग|
वृश्चिक: देव का मन्दिर, देव के लिये सजवट सामग्री| मूंगा और स्वर्ण का हार|
धनु: माता के लिये कोई आभुषण| पुखराज, लक्ष्मी यंत्र|
मकर: उपयोगी यंत्र| वाहन, स्वर्ण और रजत के आभुषण|
कुम्भ: पानी भरने का घडा| चौडे मुह केपात्र| स्वर्ण सिक्का|
मीन: मोती और पुखराज| वाहन, वस्त्र, घर या प्लॉट|