लंदन (एजेंसी). कोरोना वैक्सीन : आजकल ये एक सवाल किया जा रहा है कि कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन कौन-सा देश बनाएगा? अमेरिका, भारत, रूस, ब्रिटेन समेत कई देशों में कोरोना की दर्जनभर वैक्सीनों का परीक्षण अलग-अलग चरण पर जारी है. लेकिन इन सब देशों में वैक्सीन तैयार करने के मामले में ब्रिटेन सबसे आगे चल रहा है. लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल अंतिम चरण में है. ऑक्सोफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ AstraZeneca Plc मिलकर वैक्सीन के ट्रायल पर काम कर रही है.
यह भी पढ़ें :
सोने के दाम ऐतिहासिक ऊंचाई पर, छूने ही वाला है 50 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम का स्तर
कोरोना वैक्सीन के बारे में ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो सितंबर में कोरोना की वैक्सीन लॉन्च भी हो जाएगी. इससे दुनिया में कोरोना की वैक्सीन को लेकर उम्मीदें बढ़ गयी हैं. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की करीब 160 वैक्सीन पर काम चल रहा है. इनमें से 138 प्रीक्निकल ट्रायल के फेस में हैं. इनमें से 17 पहले फेस में, 9 दूसरे फेज में और तीन वैक्सीन तीसरे फेज में हैं. अभी तक किसी भी वैक्सीन को मंजूरी नहीं मिली है.
यह भी पढ़ें :
दुनिया और भारत में अब तक कितने करोड़ वैक्सीन बनकर हैं तैयार, बस फाइनल ट्रायल के साथ ग्रीन सिग्नल का है इंतेजार
कोरोना वैक्सीन अभी तक ज्यादातर कंपनियां तीसरे फेज क्लीनिकल ट्रायल तक ही पहुंच पाई हैं. क्लीनिकल ट्रायल में भी तीन चरण होते हैं. पहले चरण में 100 से कम लोगों पर ट्रायल किया जाता है. दूसरे चरण में सैकड़ों और तीसरे चरण में हजारों लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल होता है.
यह भी पढ़ें :
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे राजस्थान के स्पीकर
कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनिया में अबतक डेढ़ करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं. इसकी स्थायी दवा नहीं होने से दुनिया के सामने इलाज ढूंढने की चुनौती है. इस बीच कोरोना वायरस के जख्मों से जूझ रही दुनिया को रोशनी की किरण नजर आने लगी है.
यह भी पढ़ें :