जन्माष्टमी 2020 आज, क्या हैं शुभ मुहूर्त, राशि के अनुसार कैसे करें पूजन

 

 

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे

रायपुर (अविरल समाचार). जन्माष्टमी 2020 : भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का ठीक मध्य रात्रि में अवतरण हुआ था| कारागार में मध्य रात्रि के समय अत्यंत कष्ट में भी प्रसन्न चित्त माता देवकी ने उन्हे जब जन्म दिया तो वे अवगत थीं कि वे प्रकृति के नियंता को पृथ्वी पर जन्म देने जा रही हैं| पिता ने जब एक टोकरी में डाल कर यमुना में बहाया तो वे भी अवगत थे कि सर्वकारणो के कारण साक्षात विष्णु को किसी एक परिवार तक सीमित नही रखा जा सकता| ईश्वर को पृथ्वी पर लाने वाली माँ देवकी और पिता वसुदेव ने कष्टों को सह कर कठिन साधना की और ईश्वर की इस लीला का प्रमुख कारण बने|  

जन्माष्टमी 2020 हैं शुभ योगों की

बुधवार  12 तारीख कों प्रात:काल  11.16 बजे तक अष्टमी तिथि है| रात्री  3.25 बजे तक कृत्तिका नक्षत्र है और उसके बाद रोहिणी नक्षत्र है| वैसे तो जन्माष्टमी दो तरह की हो सकती है| ‘निर्णयामृत’, ‘विष्णु धर्मोत्तर पुराण’  और ‘तिथितत्व’ नामक ग्रंथ कहते है, कि जन्माष्टमी या तो रोहिणी नक्षत्र युक्त या बिना रोहिणी नक्षत्र वाली हो सकती है| बिना रोहिणी नक्षत्र वाली अष्टमी तिथि यदि हो तो जिस मध्य रात्रि को अष्टमी तिथि हो तो दूसरे दिन रात्रि के समय जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिये| मंगलवार 11 तारीख कों रात्रि अष्टमी तिथि है लेकिन रोहिणी नक्षत्र नहीं है|  अत: 12 तारीख को  मध्यरात्रि को ही जन्माष्टमी मनाई जायेगी| सर्वार्थ सिद्धि योग बन गया है| |इस योग में कृष्ण जन्मोत्सव मनाना कृष्ण भक्तों के लिए अविस्मरणीय होगा|

मुहूर्त: 12 तारीख की रात्री 12.05 बजे से 12.48 के मध्य|

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इस तरह करें पूजन

जन्माष्टमी 2020 के दिन प्रात:काल भगवान श्रीकृष्ण का नाम स्मरण करते हुए हाथ में पीले चावल लेकर पूजन और उपवास का संकल्प लें। यदि आप अपने घर में झूला स्थापित कर, पूजा करना चाहें तो दोपहर में ही माँ देवकी का स्मरण कर झूला स्थापित कर दें।

रात्रि 12 बजे बाल कृष्ण की प्रतिमा को जल, दूध, चन्दन युक्त जल से स्नान करवायें तथा भगवान को वस्त्र और श्रृंगार इत्यादि अर्पित कर के भोग लगायें। सुगन्धित पदार्थों से युक्त आरती करें। रात्रि जागरण कर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।

भगवान को प्रसन्न कीजिये इस तरह

सोमवार की रात्रि 12बजे शुक्र प्रधान वृषभ लग्न और पराक्रम  भाव में बैठे शुक्र की उपस्थिति में जन्माष्टमी मनाई जायेगी। शुक्र, धन धान्य और ऐश्वर्य प्रदाता ग्रह है। भगवान श्रीकृष्ण का विधिवत श्रृंगार, पूजन इत्यादि कर के यदि राशी के अनुसार भोग लगाया जाये तो निश्चित ही जीवन को एक नई दिशा मिलेगी।

मेष : लड्डू और अनार का भोग लगाएं रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे।
वृषभ :  रसगुल्ले का भोग लगाएं तो हर मनोकामना पूर्ण होगी।
मिथुन :काजू की मिठाई अर्पित करें। इससे धन लाभ होगा।
कर्क : नारियल की बर्फी और नारियल का भोग लगाएं। पारीवारिक सुख बढेगा।
सिंह : गुड़ व बेल का फल भोग में चढ़ाएं। व्यवसाय में लाभ होगा।
कन्या : तुलसी के पत्ते और हरे फल का भोग लगाएं। आवास के समस्या हल होगी।
तुला : कलाकंद और सेब का भोग लगाएं।सभी समस्याओं का समधान होगा।

वृश्चिक : गुड़ की मिठाई का भोग लगाएं। लोकप्रियता बढेगी।
धनु :  कोई बेसन की मिठाई का भोग लगाएं। सौभाग्य में वृद्धि होगी।
मकर :  गुलाब जामुन और काले अंगूर का भोग लगाएं। न्याय मिलेगा।
कुंभ : पिसा धनिया और शक्कर तथा चीकू चढ़ाएं। स्थिरता आयेगी।
मीन :  जलेबी और केले का भोग लगाएं। रुके हुए काम शीघ्र पूरे होंगे।

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