रायपुर (अविरल समाचार)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउण्ड में आयोजित मुख्य समारोह को सम्बोधित करते हुए सत्तरवें गणतंत्र दिवस पर राज्य के नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि संविधान की रोशनी में गणतंत्र की मजबूती के लगातार प्रयासों से हम छत्तीसगढ़ को ऐसा यशस्वी राज्य बनाने में सफल होंगे, जहां हर व्यक्ति का स्वावलम्बन राज्य की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य में ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा दिया गया है।
इस अवसर पर प्रदेश के नागरिकों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने अपना उद्गार छत्तीसगढ़ी भाषा से प्रारंभ किया और कहा कि ‘जम्मो संगी, जहूंरिया, दाई-दीदी, सियान, जवान अउ लइका मन ल जय जोहार’। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में कहा कि आज का दिन भारत के गौरवशाली अतीत को याद करने का है, जिसके दो महान अध्याय हैं स्वतंत्रता दिवस-15 अगस्त 1947 तथा गणतंत्र दिवस-26 जनवरी 1950। भारत को आजादी दिलाने के लिए अनगिनत लोगों ने जान की बाजी लगाई थी। भारत का संविधान बनाने में भी अनेक महान विभूतियों का अथक योगदान दर्ज है। देश के सात दशकों के सफर को दिशा देने वाली विभूतियों तथा तन-मन-धन से योगदान देने वाले जन-जन को मैं नमन करता हूँ। भारत की आजादी की लड़ाई की पहली मशाल जलाने में छŸाीसगढ़ के वीरों का योगदान भी दर्ज है। शहीद गैंदसिंह, वीर गुण्डाधूर, शहीद वीर नारायण सिंह ने जो अलख जगाई थी, उससे छत्तीसगढ़ का कोना-कोना और जन-जन स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गया था।
मुख्यमंत्री ने आगे का संदेश हिन्दी भाषा में कहा कि भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में जब देशभर के सामाजिक और विधिवेत्ता एकजुट हुए थे तो उनमें हमारे छत्तीसगढ़ की विभूतियों ने भी संविधान सभा के सदस्य के रूप में अपनी अमूल्य सेवाएं दी थीं। मैं चाहूंगा कि वर्तमान और भावी पीढ़ियाँ अपनी विरासत से जुड़ाव रखते हुए संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने में अपना योगदान दर्ज करें। हमारे संविधान की प्रस्तावना-‘‘हम भारत के लोग’’ से शुरू होती है जो गणतंत्र में प्रत्येक नागरिक की महŸाा दर्शाती है। हमारी सरकार प्रत्येक नागरिक के स्वाभिमान और उसकी गरिमा के लिए हर संभव उपाय करने के लिए कटिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें ग्राम स्वराज को लेकर महात्मा गांधी की परिकल्पना भी याद है और उनका यह वचन भी याद है-‘‘कोई निर्णय लेने के पहले सबसे गरीब व्यक्ति को याद करो और स्वयं से यह पूछो कि आप जो कदम उठाने जा रहे हो क्या वह उस गरीब व्यक्ति के लिए उपयोगी होगा।’’ मुझे यह कहते हुए संतोष का अनुभव हो रहा है कि विगत एक माह में हमारे सारे फैसले महात्मा गांधी के वचनों की भावना के अनुरूप लिए गए हैं।