छत्तीसगढ़ का केंद्र बनेगी नई राजधानी, व्यवस्थित बसाहट की योजना के साथ बढ़ रहा शहर

रायपुर (अविरल समाचार) : रायपुर के बाद आज सबसे ज्यादा चर्चा नवा रायपुर की है। आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित की जा रही नई राजधानी आने वाले समय में रायपुर का विराट स्वरूप दिखाएगी। ऐसे तो यहां बहुत कुछ बताने के लिए है, लेकिन उन्हें एक पन्ने में समेटना काफी मुश्किल है। फिर भी जेहन में नया रायपुर शब्द के साथ जो चित्र उभरते हैं, उनमें जंगल सफारी, माना एयरपोर्ट, इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम और िदल का अस्पताल चुनिंदा हैं।

शहीद वीर नारायण सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम रणजी ट्रॉफी की 5वीं मेजबानी के लिए तैयार है। बीसीसीआई की ओर से डोमेस्टिक क्रिकेट को लेकर अभी कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। कोरोना के मामले कम होने पर दिसंबर में रणजी ट्रॉफी के मैच शुरू हो सकते हैं। स्टेडियम में 2016 से रणजी के मुकाबले खेले जा रहे हैं। पहले साल छत्तीसगढ़ का एक भी मैच नहीं हुआ। 2017 से 2019 तक टीम ने होम ग्राउंड पर 11 मैच खेले। 2 मैच जीते, 8 में हार का सामना करना पड़ा और 1 मैच ड्रॉ रहा था।

399 रन की अमनदीप खरे व अजय मंडल ने की सबसे बड़ी साझेदारी

353 रन की जीवनजोत सिंह और हरप्रीत सिंह ने की थी साझेदारी

50 हजार दर्शकों के बैठने की क्षमता है स्टेडियम में

11 रणजी के मैचों की मेजबानी

02 में मिली टीम को जीत

838 रन हरप्रीत सिंह ने बनाए थे पिछले सीजन में, बेस्ट टॉप-10 खिलाड़ियों की लिस्ट के 7वें नंबर पर रहे थे। उन्होंने 4 शतक और 2 अर्धशतक जड़े थे।

रणजी ट्रॉफी के 2019-20 सीजन में छत्तीसगढ़ के अजय मंडल ने उत्तराखंड के खिलाफ 241 रन की नाबाद पारी खेली थी। उन्होंने 35 चौके और 2 छक्के लगाए थे। इसी तरह सर्विसेस के खिलाफ जीवनजोत सिंह ने 236 रन बनाए थे। उन्होंने 31 चौके जड़े थे।

लॉकडाउन के पहले यानी जनवरी 2020 में रायपुर उन टॉप थ्री विमानतलों में शामिल था जहां से सबसे ज्यादा घरेलू यात्री उड़ान भरते हैं। केंद्रीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से जारी सूची में रायपुर का स्थान दूसरा था। रायपुर से आगे केवल इंदौर था। छोटा शहर होने के बावजूद यात्रियों की संख्या में रायपुर ने भोपाल, अगरतला, जम्मू और रांची को भी पीछे छोड़ दिया था। नवंबर-दिसंबर 2019 और जनवरी-फरवरी 2020 में ऐसा भी हुआ जब रायपुर से एक महीने में 2 लाख से ज्यादा यात्रियों ने सफर किया।

18 फीट की स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगी, एक करोड़ खर्च। यह मूर्ति एनएमडीसी की ओर से रायपुर एयरपोर्ट को उपहार में दी गई है।

3250 मीटर रनवे की लंबाई है

एटीसी टावर के नीचे आधुनिक फायर ब्रिगेड की भी स्थापना

इसमें आधुनिक तकनीकों से लैस गाड़ियां जर्मनी से खरीदी गई हैं

44 उड़ानें भरेंगे में रोजाना

03 सौ कारों की पार्किंग क्षमता

विमानतल या रनवे में किसी भी तरह की आगजनी होने पर एटीसी टावर से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां 30 सेकंड में पहुंच सकती हैं।

राजधानी में बन रहा नए एटीसी टॉवर देश के उन पांच टॉवरों में शामिल है जिसकी ऊंचाई सबसे ज्यादा है। इस तरह के हाईटेक एटीसी टॉवर अभी महानगरों में ही है। मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरू, चेन्नई, कोलकाता समेत कुछ ही इंटरनेशनल एयरपोर्ट में इस तरह के टॉवर हैं।

नवा रायपुर की जंगल सफारी… एशिया की सबसे बड़ी मैनमेड यानी मानव निर्मित सफारी। अब सफारी में साउथ अफ्रीका से जिराफ और जेब्रा को लाने की तैयारी है। साउथ अफ्रीका का वन विभाग इन वन्य प्राणियों को देने के लिए औपचारिक सहमति दे चुका है। सफारी में बाड़े बनाने का काम चालू है। अफ्रीका से इन वन्य प्राणियों के आने के बाद छत्तीसगढ़ की सफारी का शुमार देश के चुने हुए जू में शामिल हो जाएगी जहां जिराफ और जेब्रा जैसे वन्य प्राणी पर्यटक देख सकेंगे।

163 हेक्टेयर में फैले बॉटनिकल गार्डन का काम कैम्पा से बजट नहीं मिलने से फिलहाल बंद है। इसके लिए निकट भविष्य में बजट मिलने की उम्मीद है।

50 -50 हेक्टेयर में बनाए गए हैं जानवरों के बाड़े

सफारी के जू में अगले महीने ईमू को भी लाया जाएगा

सफ़ारी के खंडवा तालाब में गोआ के पैटर्न की बोट लायी जाएगी

02 सौ करोड़ रु. का बजट

150 करोड़ हो चुका खर्च

लायन का कुनबा बढ़ रहा है। गिर के जंगलों में पाए जाने वाले लायन को नंदनवन जू से लाया गया है। यहां लायन के कुनबे में 11 सदस्य हैं।

जंगल सफारी के जू में 37 बाड़े बनाए जाने हैं। सेंट्रल जू अथाॅरिटी से मंजूरी मिल चुकी है। अभी जू में व्हाइट टाइगर के अलावा हिप्पोपोटामस यानी दरियाई घोड़ा हैं। अफ्रीका के दरियाई घोड़े का जोड़ा भुवनेेश्वर के नंदनकानन जू से लाया गया है। इन्हें वहां के वन विभाग ने गिफ्ट किया है।

नया रायपुर में सत्य साईं संजीवनी दिल का ऐसा अस्पताल है, जहां अब तक 12500 बच्चों की मुफ्त सर्जरी की जा चुकी है। वहीं ओपीडी में 112000 से ज्यादा मरीजों का इलाज हो चुका है। दिल का यह ऐसा अस्पताल है, जहां बिल काउंटर ही नहीं है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ ही नहीं पड़ोसी राज्यों के अलावा दूरदराज से मरीज इलाज कराने आते हैं। जो जन्मजात हार्ट की बीमारी से ग्रसित हैं। यही नहीं कीनिया समेत दूसरे देशों के बच्चे भी यहां इलाज करवा चुके हैं।

2012 से इस अस्पताल की शुरुआत हुई। यह अस्पताल पूरी तरह बच्चों के लिए समर्पित है। यहां पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर इलाज होता है।

40 बेड क्षमता इमरजेंसी को प्राथमिकता

कैश काउंटर नहीं है, किसी प्रकार का रजिस्ट्रेशन फीस नहीं

एक अटेंडेंट के भी यहां रहने-खाने की निशुल्क व्यवस्था

03 ऑपरेशन रोज होते हैं यहां

08 साल से हो रही है सेवा, यहां कैंप के माध्यम से लोगों को हार्ट की बीमारी से निजात दिलाया जा रहा है। खास बात यह है कि अस्पताल दिल के आकार का बना हुआ है।

अब तक श्रीलंका, बांग्लादेश व पाकिस्तान के अलावा दूसरे देशों के बच्चों की दिल की सर्जरी की जा चुकी है। 2012 में स्थापना के बाद से अब तक यह अस्पताल हार्ट के मरीजों के लिए संजीवनी बना हुआ है। कोरोना काल में भी महिलाओं से लेकर बच्चों की जांच की जा रही है।

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