बिलासपुर (एजेंसी). आख़िरकार राज्य की 1333 सहकारी समिति को उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत दे दी. बीते 23 जुलाई को राज्य सरकार ने आदेश जारी कर प्रदेश की सहकारी समितियों को भंग करते हुए आदेश जारी किया था जिसे हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रामचंद्रन की अध्यक्षता और जस्टिस पी.पी. साहू की डिवीजन बैंच ने इस मामले की सुनवाई की थी.
कोर्ट ने मामले को लेकर सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था। बताया गया कि राज्य शासन ने प्रदेशभर की सेवा सहकारी समितियों के पुनर्गठन के लिए अधिसूचना जारी कर 30 जुलाई 2019 तक दावा-आपत्ति आमंत्रित किया था।सरकार ने बिना दावा-आपत्ति का निराकरण किए 30 अगस्त 2019 को प्रदेश की 1035 सेवा सहकारी समितियों को भंग कर दिया था। जिसके बाद आदेश के खिलाफ सेवा सहकारी समिति भैसमा के सदस्य लक्ष्मण उरांव, बरपाली समिति के मोहनलाल कंवर, जीवन लाल कंवर समेत अन्य समितियों के सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने फैसले में सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने यह माना है कि प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी हुई समितियों को भंग करना गलत है।
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