नई दिल्ली(एजेंसी): कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए हालात ने 5G तकनीक को लेकर पहले से ही निशाने पर चीन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप लगातार 5G तकनीक के उपकरण मुहैया करवाने वाली चीन की कंपनी हुआवे पर चीनी सेना के लिए काम करने का आरोप लगाते रहे हैं. अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन ने मंगलवार को चीन की कंपनी हुआवे और जेडटीई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताकर ट्रंप के दावे पर कहीं ना कहीं मुहर लगा दी. अमेरिका के इस फैसले के बाद चीन पर 5G तकनीक विकसित करने की रेस से बाहर होने का खतरा मंडराने लगा है.
अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन ने चीन की कंपनी हुआवे और ZTE को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए 5-0 से मतदान हुआ है. इसके साथ ही ट्रंप सरकार ने 5G तकनीक के लिए अमेरिकी कंपनियों को मिलने वाले 8.3 अरब डॉलर के फंड पर रोक लगा दी है.
एफसीसी ने साफ किया है कि अमेरिका की टेलीकॉम कंपनियों को पहले अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर से चीन की कंपनियों हुआवे और जेडटीई के उपकरण हटाने होंगे. अमेरिका सरकार का साफ कहना है कि वह किसी भी तकनीक के लिए देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले साल से ही हुआवे के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है. अमेरिकी राष्ट्रपति यूरोप के देशों से 5G तकनीक के लिए हुआवे से उपकरण नहीं खरीदने की अपील करते रहे हैं. पिछले साल अमेरिकी सरकार ने 2021 तक के लिए हुआवे पर प्रतिबंध लगा दिए थे. इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंग्लैंड और जर्मनी के राष्ट्र प्रमुख से कहा था कि आप चीन की कंपनी से 5G तकनीक ना लें. ट्रंप ने चीन की कंपनियों से उपकरण नहीं लेने वाले देशों को 5G तकनीक विकसित करने के मामले में मदद का भरोसा भी दिलाया था.
पिछले साल भारत सरकार ने चीन की कंपनी हुआवे को 5G के ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए अनुमति दी थी. इसके बाद से ही 5G तकनीक के मामले में हुआवे को भारत में सबसे प्रबल दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था. लेकिन चीन के साथ ताजा विवाद के बाद भारत सरकार ने कड़ा रूख अपना लिया है. ऐसा माना जा रहा है कि चीनी ऐप्स को बैन करने के बाद भारत सरकार 5G तकनीक के लिए चीन की कंपनियों को बैन करने पर जल्द ही फैसला ले सकती है.
भारत सरकार ने फिलहाल के लिए 5G की नीलामी को एक साल के लिए टाल रखा है. लेकिन चीन से बिगड़ते रिश्तों का खामियाजा हुआवे को भुगतना पड़ सकता है. अमेरिकी के दबाव के बीच भारत सरकार हुआवे को बैन करने की तरफ आगे बढ़ सकती है.
इससे पहले हुआवे सिंगापुर में 5G की रेस की बाहर हो चुका था. सिंगापुर की सरकार ने 5G तकनीक के लिए हुआवे की बजाए नोकिया और एरिक्शन को मौका देने का फैसला किया था. सुरक्षा कारणों के मद्देनज़र ऑस्ट्रेलिया ने भी 5G के ट्रॉयल से हुआवे को बाहर रखा था.
अब तक अमेरिका, दक्षिण कोरिया, बिट्रेन और चीन में 5G सेवा की शुरुआत हो चुकी है. चीन में 5G सेवा की शुरुआत पिछले साल नवंबर में हुई थी. चीन में 5G तकनीक का 50 फीसदी हिस्सा हुआवे ने ही तैयार किया है. चीन में 5G सेवा शुरू होने के बाद काफी तेजी से इस तकनीक के साथ यूजर्स के जुड़ने के दावे सामने आए थे. चीन की तरफ से दावा किया गया 2020 तक चीन में 10 करोड़ यूजर्स 5G तकनीक का इस्तेमाल करेंगे.
फिलहाल दुनियाभर में नौ कंपनियां हुआवे, नोकिया, सैमसंग, जेडटीई, क्वॉलकॉम, एरिक्सन, सिस्को सिस्टम, अल्टीयोस्टार और फाइबर होम 5G तकनीक विकसित करने को लेकर उपकरण मुहैया करवाती हैं. ये कंपनियां 5G रेडियो हार्डवेयर और टेलीकॉम carrier के लिए 5G सिस्टम तैयार करती है. इन सभी कंपनियों में हुआवे के उपकरण सबसे सस्ते हैं. इसी वजह से माना जा रहा था कि चीन की कंपनी हुआवे 5G तकनीक विकसित करने के मामले में दुनिया में सबसे आगे निकल सकती है. लेकिन अब राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जिस तरह के सवाल खड़े हुए हैं उसको देखते हुए माना जा सकता है कि अब देश सिर्फ कम कीमत की वजह से चीन की कंपनियों पर दांव ना लगाएं.