लखनऊ: कानपुर एंकाउंटर की जांच यूपी पुलिस के एसटीएफ को सौंपे जाने पर शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के परिवार ने सवाल उठाया है. देवेंद्र मिश्रा के भाई का कहना है कि एसटीएफ के डीआईजी अनंत देव खुद संदेह के दायरे में हैं, तो वो खुद इस मामले की जांच कैसे कर सकते हैं. शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खिलाफ लगातार शिकंजा कस रहे थे. उसके कालेधंधे का पर्दाफाश कर रहे थे. ऐसे में माना जा रहा है कि विकास दुबे ने देवेंद्र मिश्रा से पर्सनली दुश्मनी निकाली है.
देवेंद्र मिश्रा के भाई ने कहा, देवेंद्र मिश्रा ने विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. उसके कालेधंधे बंद कराए. अगर मुठभेड़ में गोली लग गई होती तो अलग बात होती, लेकिन उन्हें घेरकर मारा गया है. पैर काट दिए, सिर में गोली मारी, छाती पर गोली मारी, 50 घाव दिए, इससे साफ जाहिर होता है कि भाई के प्रति विकास दुबे के मन में कितना गुस्सा था.
उन्होंने आगे कहा, कोई भी व्यक्ति खुद अपनी जांच नहीं कर सकता. न्याय का सामान्य सा सिद्धांत है कि जिन लोगों पर संदेह होता है उन्हें जांच से दूर रखा जाता है. खुद संदेह के दायरे में आना व्यक्ति क्या जांच करेगा. सही जांच कमेटी का चयन किया जाना चाहिए. वरना ऐसे लोग तो सच पर धूल दाल देंगे.
दरअसल, एक दिन पहले सीओ देवेंद्र मिश्रा की कानपुर के एसएसपी को लिखी चिट्ठी सामने आई थी, जिसमें चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी पर सवाल उठाए गए थे. बाद में खबर आई कि ये महज एक चिट्ठी नहीं है, बल्कि ऐसी आधा दर्जन चिट्ठियां एसटीएफ को सौंपी गई थी. जिस वक्त ये चिट्ठियां लिखी गई थी उस वक्त अनंत देव कानपुर के एसएसपी थे. कानपुर के एसएसपी होने के बावजूद अनंद देव ने न तो इन चिट्ठियों का किसी तरह का जवाब दिया और न ही इसपर एक्शन लिया गया.
कानपुर में शहीद हुए सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा 2016 के पीपीएस अफसर थे. इंस्पेक्टर से प्रमोट होकर देवेंद्र कुमार सीओ बनाये गये थे. 13 जुलाई 2016 को हाथरस में इंस्पेक्टर की तैनाती पर मिला था सीओ का प्रमोशन. सीओ बनने के बाद गाजियाबाद में डिप्टी एसपी के तौर पर पहली तैनाती हुई थी. देवेंद्र मिश्रा 6 अगस्त 2016 से 1 अगस्त 2017 तक गाजियाबाद में तैनात रहे. गाजियाबाद जिला पुलिस से हटने के बाद गाजियाबाद पीएसी में भी पोस्टिंग रही. 11 अक्टूबर 2018 को देवेंद्र कुमार मिश्रा कानपुर में सीओ बनकर आए थे.