नई दिल्ली (एजेंसी)। कर्नाटक विधानसभा के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। विधायकों की तरफ से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि विधानसभा स्पीकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विधायक सुप्रीम कोर्ट क्यों गए थे, मैं तो यहां था मेरे पास आना था। उन्होंने कहा कि स्पीकर के खिलाफ अदालत को एक्शन लेना चाहिए। वो बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें इस्तीफा पढ़ना है, लेकिन एक लाइन के इस्तीफे में वह कितनी बार पढ़ेंगे।
मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने राजनीतिक वजह से हमारा इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया। जिस पर टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि क्या विधानसभा स्पीकर सुप्रीम कोर्ट की अथॉरिटी को चैलेंज कर रहे हैं? क्या स्पीकर हमें ये कह रहे हैं कि अदालत को इससे दूर रहना चाहिए?
दूसरी ओर स्पीकर की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अभी विधायकों पर सदस्यता खत्म करने का भी मामला चल रहा है, ऐसे में इस्तीफे की बात कहां से आ सकती है। स्पीकर के साथ बैठक में विधायकों ने माना है कि वह रिजॉर्ट गए लेकिन इस्तीफे के लिए स्पीकर से नहीं मिले।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की तरफ से पेश हुए राजीव धवन ने कहा कि लोगों ने एक जनादेश दिया है, ये विधायक उसका अपमान कर रहे हैं। आप हमें बता दीजिए कि स्पीकर की जिम्मेदारी क्या है? संविधान में कहा गया है कि स्पीकर अपने हिसाब से इस्तीफे पर फैसला कर सकता है।
अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ से अदालत को बताया गया है कि सभी बागी विधायकों ने वीडियो में ये स्वीकार किया है कि उन्होंने स्पीकर को मिलकर इस्तीफा नहीं सौंपा है। सिंघवी की तरफ से अदालत को स्पीकर रमेश कुमार का हलफनामा और विधायकों का वीडियो दिया गया। विधायकों ने ये भी स्वीकार किया कि जब स्पीकर अपने दफ्तर से जा चुके थे, तब वो लोग इस्तीफे के बाद बात करने पहुंचे थे।
एक लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार को आदेश दिया है कि वो अगले मंगलवार तक कोई फैसला ना लें। इस दौरान स्पीकर ना तो विधायकों के इस्तीफे पर और ना ही अयोग्य करार होने पर फैसला ले सकते हैं। अब इस मसले पर मंगलवार को सर्वोच्च अदालत में सुनवाई होगी।
मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा में स्पीकर से अपना बहुमत साबित करने वक्त मांगा है। कुमारस्वामी ने कहा कि राज्य में जो कुछ हुआ, उसके बाद वह अपना बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं।