नई दिल्ली(एजेंसी): आज से ( 1 जुलाई, 2020) से म्यूचुअल फंड और शेयरों की खरीद पर स्टैम्प ड्यूटी लगेगी. अब म्यूचुल फंड और शेयर की खरीदारी पर 0.05 फीसदी स्टैम्प ड्यूटी लगेगी. साथ ही म्यूचुअल फंड की हर यूनिट के ट्रांसफर पर 0.015 फीसदी ड्यूटी लगेगी. सरकार ने पिछले साल स्टैम्प ड्यूटी एक्ट में बदलाव कर शेयर और कमोडिटी की ट्रेडिंग पर एक समान ड्यूटी लगा दी थी. अब ईटीएफ को छोड़ कर हर कैटेगरी के म्यूचुअल फंड पर स्टैम्प ड्यूटी लगेगी. यह ड्यूटी पहली बार लगाई जा रही है. हालांकि राज्यों के स्टॉक एक्सचेंजों मे शेयरों की खरीद पर अलग-अलग दर से पहले ही चार्ज लग रहे थे.
स्टैम्प ड्यूटी शेयर, डेट इंडस्ट्रमेंट्स और कमोडिटी समेत सभी तरह के ट्रांजेक्शन पर लगेगी. ईटीएफ को छोड़ कर हर कैटेगरी के म्यूचुअल फंड के ट्रांजेक्शन पर स्टैम्प ड्यूटी लगेगी.जहां तक म्यूचुअल फंड का सवाल है तो यह स्टैम्प ड्यूटी पहले से रजिस्टर्ड एसआईपी समेत म्यूचुअल फंड में हर महीने की नई खरीदारी पर लगेगी. अगर निवेशक एक स्कीम से दूसरी स्कीम में स्विच करता है तो भी स्टैम्प ड्यूटी लगेगी. अगर डिविडेंड का दोबारा निवेश होता है तो भी स्टैम्प ड्यूटी लगेगी.
स्टैम्प ड्यूटी का असर लॉन्ग टर्म निवेशकों पर बेहद मामूली पड़ेगा. अगर एक निवेशक एक लाख रुपये के शेयर या म्यूचुअल फंड यूनिट्स खरीदता है तो 0.005 फीसदी के हिसाब से इस पर सिर्फ पांच रुपये का बोझ पड़ेगा. हालांकि शॉट टर्म निवेशकों पर इसका ज्यादा असर होगा.निवेशकों की लागत पर 0.005 फीसदी के स्टैम्प ड्यूटी का भले ही बेहद मामूली असर पड़े लेकिन इससे म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को 940 से 1000 करोड़ रुपये तक का राजस्व हासिल होगा. भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री 188 लाख करोड़ रुपये के फंड का संचालन करती है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि छोटे निवेशकों को स्टैम्प ड्यूटी की ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. लेकिन अगर वे एक स्कीम से दूसरी स्कीम में जल्दी-जल्दी स्विच करते हैं तो उनकी लागत बढ़ सकती है.