नई दिल्ली(एजेंसी): लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी बुधवार को तीन लेबर कोड पारित कर दिए. अब इनके कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है. नई व्यवस्था के तहत 29 केंद्रीय कानून अब चार लेबर कोड में समाहित कर दिए हैं. इनका मकसद लेबर कानूनों को सरल बनाना है. नए लेबर कानून के मुताबिक असंगठित क्षेत्र के कामगारों, गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और स्वरोजगार करने वालों को सोशल सिक्योरिटी स्कीम के दायरे में लाया जाएगा. इन कामगारों को डेथ और एक्सीडेंट इंश्योरेंस के दायरे में लाया जाएगा. देश के 50 करोड़ कामगार मेटर्निटी बेनिफिट, डेथ और एक्सीडेंट इंश्योरेंस पेंशन समेत किसी न किसी सोशल सिक्योरिटी स्कीम के दायरे में आ जाएंगे.
अब फिक्स्ड टर्म के तहत नौकरी पाने वालों को भी पर्मानेंट कर्मचारियों जैसी ही सभी सुविधाएं और एक साल में ही ग्रेच्युटी भी मिलेगी. न्यूनतम मजदूरी को सभी कामगारों का अधिकार बना दिया गया है. नए कानून के तहत सभी कर्मचारियों को अपॉइंटमेट लेटर मिलेगा. कॉन्ट्रैक्टर को मजदूरी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट के जरिये देना होगा. अब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले वे कामगार प्रवासी कामगार माने जाएंगे जो 18 हजार रुपये से कम मासिक वेतन पा रहे होंगे.
महिला कामगारों को पुरुष कामगारों को बराबर ही वेतन देना होगा. पूरे देश में एक समान मजदूरी लागू होगी. ESI और ईपीएफओ का सामाजिक सुरक्षा कवच सभी मजदूरों और स्वरोजगार करने वालों को प्रदान किया जाएगा. इसके अलावा नियमित कर्मचारियों की तरह ही अस्थायी कर्मचारियों को भी एक ही तरह की सेवा शर्तें, ग्रेच्युटी, छुट्टी मुहैया कराई जाएंगी. वर्किंग जर्नलिस्ट की परिभाषा में अब डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने वाले लोग भी शामिल होंगे.
प्रवासी कामगारों को कंपनियां अपने घर जाने के लिए साल में एक बार भत्ता देगी. वित्तीय घाटे, कर्ज या लाइसेंस पीरियड खत्म हो जाने से कोई कंपनी बंद हो जाती है तो कर्मचारियों को नोटिस या मुआवजा देने से इनकार नहीं किया जा सकेगा. कंपनियों को नियुक्ति के समय कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देना होगा. उन्हें हर साल मेडिकल चेकअप की भी सुविधा देनी होगी.