सच्चे कोरोना योद्धा हैं, होटल वेंकटेश के स्टाफ और गुप्ता परिवार

रायपुर (अविरल समाचार). जब चारों तरफ अंधियारा हो और तलाश हो रोशनी की तो चिंगारी भी सूर्य लगती हैं. कुछ यही स्थिति थी रायपुर में कोरोना वायरस की दस्तक के साथ. एम्स रायपुर के वे इंसान रूपी भगवान जिनके कारण आज छत्तीसगढ़ सुरक्षित है. जिन्हें हम कोरोना योद्धा (Corona Warriors) कह रहे हैं, इनके रुकने के लिए स्थान की आवश्यकता थी और कोई आगे नहीं आ रहा था. इस समय होटल वेंकटेश ने हाथ बढ़ाया और सेवा भाव से अपनी जगह देने की पहल की. युद्ध में लड़ने वाला ही केवल योद्धा नहीं होता, वो सभी योद्धा कहलाते हैं जो उसके इस कार्य में किसी भी रूप में योगदान देते हैं. होटल वेंकटेश और उसके संचालक शाश्वत गुप्ता को भी यदि हम कोरोना योद्धा कहें तो गलत नहीं होगा.

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आज बहुत-से सवाल उठ रहें हैं ! इस घनी आबादी में कैसे निगम ने अनुमति दी? और भी न जाने क्या क्या; मगर ये सवाल उठाने वाले तब कहां थे जब अंधकार में रोशनी की तलाश की जा रही थी? आज हमारे घर में यदि दूध वाला या सब्जी वाला भी आ रहा हैं तो हम हर उस स्थान को शुद्ध कर रहें हैं, जहां वह आया. इन परिस्थितियों में अपने पूरे होटल को उन योद्धाओं को दे देना जो सीधे जंग के मैदान में कोरोना नामक दुश्मन से दो दो हाथ कर रहें हैं. इसका परिणाम कुछ भी हो सकता है यह जानकारी होने के बाद भी. बड़े जिगर वाला काम है और इसके लिए  गुप्ता परिवार साधुवाद का पात्र है न कि आलोचना का.

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जितना हौसला गुप्ता परिवार ने दिखाया, उसमें उनके होटल के स्टाफ ने भी कहीं कमी नहीं की. वह भी उसी जोश के साथ इन कोरोना योद्धाओं की सेवा में लगा रहा और आज भी लगा है तभी तो एम्स रायपुर ने आज एक ट्वीट कर वेंकटेश होटल के स्टाफ को सलाम किया और उन्हें सच्चा कोरोना योद्धा बताया.

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होटल के संचालक शाश्वत गुप्ता ने भी आज एक वीडियो सोशल मीडिया में जारी किया जिसमे उन्होंने कहा है कि आज भी हम इन कोरोना वारियर्स के साथ हैं. हमारे यहां अभी भी एम्स के लगभग 30 डॉक्टर्स और स्टाफ के अन्य लोग हैं जिनकी सेवा में हमारा स्टाफ लगा है. मैं अपने पूरे स्टाफ को सलाम करता हूं जो इस परिस्थिति में भी इन सभी की सेवा कर रहें हैं. हमें रायपुर शहर की जनता और प्रशासन का जो सहयोग मिला उसके लिए मैं उन सबको भी साधुवाद देता हूं.

मशहूर शायर बशीर बद्र जी की दो लाइने भी इस बात पर याद आती हैं

“तुम्हारे शहर के सारे दिये तो सो गए कब के,

हवा से पूछना दहलीज पर ये कौन जलता हैं.”

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